बात को पुरा करते -करते आंटी के आँखों में सैलाब उमड़ पड़े। उनकी नजरें मुझ पर टिकी हुई थीं बात को पुरा करते -करते आंटी के आँखों में सैलाब उमड़ पड़े। उनकी नजरें मुझ पर टिकी ...
शाबाशी खुद को दो रोज़ अपने जिस्म की नुमाइश करके, सवेरे उसके आंगन में तुलसी को ज्योत जगाती हो शाबाशी खुद को दो रोज़ अपने जिस्म की नुमाइश करके, सवेरे उसके आंगन में तुलसी को ज्...
तुम जैसे आदिवासी छोटी जात के लोग हमारे घर की दहलीज़ के अंदर भी नहीं आ सकते हैं तुम जैसे आदिवासी छोटी जात के लोग हमारे घर की दहलीज़ के अंदर भी नहीं आ सकते हैं