जगत में परमानंद शिष्यों जैसे मूर्ख शिष्य कोई भी नहीं है। जगत में परमानंद शिष्यों जैसे मूर्ख शिष्य कोई भी नहीं है।
लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
"पर नींद की थपकियों के बीच अक्सर टूटने लगती है ये जिद्द "पर नींद की थपकियों के बीच अक्सर टूटने लगती है ये जिद्द