अब और बात नहीं, अब तुमसे विदा लेने का समय आ गया है गुड़ बाय।' अब और बात नहीं, अब तुमसे विदा लेने का समय आ गया है गुड़ बाय।'
जब भी मुझे वक़्त मिलता हैं मैं अक्सर इसी जगह आकर अपनी आत्मा में इस गुड़ की मिठास घोलता हूँ जब भी मुझे वक़्त मिलता हैं मैं अक्सर इसी जगह आकर अपनी आत्मा में इस गुड़ की मिठास घ...
हाँ हाँ क्यों नहीं अतिथि हमारे लिये भगवान होते हैं। हाँ हाँ क्यों नहीं अतिथि हमारे लिये भगवान होते हैं।
"आज दस बजे ही बाय, गुड़ नाइट........क्या हुआ?" उसने मैसेज का जवाब दिया। "आज दस बजे ही बाय, गुड़ नाइट........क्या हुआ?" उसने मैसेज का जवाब दिया।
उसने तो कभी सोचा भी नहीं था कि गुड़ और चींटी का इतना बड़ा रिश्ता होता है। उसने तो कभी सोचा भी नहीं था कि गुड़ और चींटी का इतना बड़ा रिश्ता होता है।