आज इस निरन्तर यात्रा का पड़ाव आ ही गया। आज इस निरन्तर यात्रा का पड़ाव आ ही गया।
स्वप्न में इन्सान जानें कहाँ-कहाँ से घूमकर उठता अपने बिस्तर से ही है। कभी लड़ाई तो कभी इज़हार जानें... स्वप्न में इन्सान जानें कहाँ-कहाँ से घूमकर उठता अपने बिस्तर से ही है। कभी लड़ाई...
मेरे साथ वो तमाम ख्वाब समेटके ले आया था मै। शोर-ओ-गुल मेँ सच्ची ज़ुबान के ज़ायके से अरसो बाद मिला। मेरे साथ वो तमाम ख्वाब समेटके ले आया था मै। शोर-ओ-गुल मेँ सच्ची ज़ुबान के ज़ायके स...