Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!
Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!

Vipin kumar Pandey G

Children Stories

3  

Vipin kumar Pandey G

Children Stories

वो स्कूल वाला टीचर डे

वो स्कूल वाला टीचर डे

3 mins
264


क्या आपको याद है वो स्कूल वाला टीचर्स डे। टीचर्स डे जिस शब्द को सुनते ही एक महान इंसान का चेहरा सामने आ जाता है वो हैं डॉक्टर *सर्वपल्ली राधाकृष्ण* हर साल इनकी याद ने 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।चलिए अब हम बात करते हैं स्कूल में बच्चों के द्वारा मनाए जाने वाले शिक्षक दिवस की।


एक ऐसा दिन कि हर बच्चा सालों तक इंतजार करता है इस दिन का । क्योंकि पूरी जिंदगी का इकलौता दिन होता है शिक्षक दिवस । जब अपने क्लास के सभी बच्चों को आप एक साथ एक घर के कपड़ों में देख सकते हो। जी हमारी पढ़ाई दसवीं तक जिस स्कूल में हुई उस स्कूल की मान्यता दसवीं तक ही थी।और हर एक बच्चा इंतजार करता था 10 साल तक बस इस एक दिन का जो टीचर्स डे था।


चलिए हम बताते हैं अपने टाइम के स्कूल की कहानी अपना स्कूल वाला टीचर डे की।साल 2016 महामति प्राणनाथ विद्या निकेतन स्कूल भिवानी । हमारी क्लास में लगभग 40 बच्चे थे और हम सबको इंतजार इस खास दिन का। क्योंकि हम सब के सब एक दूसरे को पहली बार घर के कपड़ों में देखने वाले थे । महीने पहले से तैयारियां चलने लगती थी टीचर्स डे की। सभी बच्चे के अंदर खासकर तमाम लड़कियों के अंदर बस इस बात का टेंशन रहता था कि क्या पहन कर आए हम उस दिन स्कूल में।क्योंकि यह 10 साल की पढ़ाई की जिंदगी ने पहला दिन था जब हम 40 के 40 बच्चे अपने घर की कपड़ों में आए थे एक साथ स्कूल में ।लड़कियों में सबसे ज्यादा इस बात को देखा और समझा जा सकता था उनके हावभाव से कि सबसे ज्यादा टेंशन उन्हें ही थी कि हम क्या पहनकर आए।सब चीज फाइनल हो गया फ़िर डिस्कस होता था कि किस बच्चे को कौनसा टीचर्स बनाया जाए । सब फाइनल होने के बाद बात अटकी हमारी आकर इस बात पर की प्रिंसिपल किसे बनाया जाए ।


कुछ दोस्तों और टीचरों का मन था कि मुझे प्रिंसिपल और मेरा एक दोस्त था रोहन उसे वाइस प्रिंसिपल बनाया जाए । मगर ये बात साल 2016 की है उस टाइम पर बेटी बचाओ अभियान जोरों शोरों से चल रहा था इस अभियान को ध्यान में रखकर हमारे स्कूल के प्रिंसिपल ए.एन. मिश्रा सर ने इस बात पर मुहर लगाई कि नहीं इस बार लड़कियां बनेगी प्रिंसिपल। हमने इस बात को सहज स्वीकार किया । और मुझे खुशी हुई की मुझे मेरे पसंदीदा विषय का टीचर बनाया गया।


हमारी क्लासमेट निष्ठा (प्रिंसिपल) नीरू(वॉइस प्रिंसिपल) रूपम (संस्कृत) कोमल(संस्कृत) रितिका (अंग्रेजी) आदि को अलग अलग विषय के टीचर के रूप में चुना गया।

इसी प्रकार लड़को में मुझे(हिंदी,सामाजिक विज्ञान), रोहन(हिंदी) देव (मैथमेटिक्स) विक्रम(मैथमेटिक्स) खुशहाल (ड्राइंग) इस प्रकार की सभी को अलग-अलग विषय की जिम्मेदारी दी गई। 


हम सबने उस दिन बहुत ज्यादा मजे किया। यहां तक कि कईयों की जो स्कूल वाला प्यार होता है उसे बाहर कर अपनी प्रेमिका से इजहार करने का सबसे अच्छा और सबसे बढ़िया दिन था । कईयों ने अपनी प्रेम कहानी की शुरुआत तो कईयों ने अपने मन में दबे प्रेम को हमेशा के लिए दबा लिया।

मगर कुछ भी कहिए वो स्कूल वाला टीचर डे ना अभी भूले है ना कभी भूलेंगे ।


आज हम सभी अपने अपने जीवन में अलग अलग मुकाम पर हैं मगर जब मेरी बात उनमें से किसी सहपाठी से होती है खासकर टीचर डे वाले दिन तो बस घंटो तक एक ही बाते होती है *वो स्कूल वाला टीचर डे* के बारे में ।


Rate this content
Log in