Vipin kumar Pandey G

Romance Inspirational

4.0  

Vipin kumar Pandey G

Romance Inspirational

अधूरा इश्क

अधूरा इश्क

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मात्र 20 वर्ष की उम्र यौवन अपने शिखर पर है, मन की चंचलता, हँसमुख स्वभाव, दुबली सी काया, चमकीली आँखें जिन्हें शायद देखते ही उनमें डूब जाने का जी करे,और चेहरे कि कान्ति... जो पल भर में किसी को भी अपनी तरफ खींच ले...इन तमाम खूबियों और कुशाग्र बुद्धि के साथ एक लड़की  ने अभी अभी अपनी स्नातक की परीक्षा पास की है।

जीवन के इस पड़ाव पर जब प्रत्येक युवा अपनी भावनाओं के आवेश में होता है, इस लड़की ने भी अंतर्मन से किसी को अपना मान बैठी है...परन्तु विडंबना यह है कि उसकी यह भावना उसे भी नही पता जिसे यह लड़की स्वयं में ही अपना कहती फिरती है, हो भी कैसे...? भावनायें तो तब सामने आती थीं, जब कोई एक अपनी तमाम बातें और शिकायतें एक कागज़ के पन्ने पर कलम को टिकोर टिकोर कर पत्र के रूप में लिखता था और पढ़ने वाला भी, तब भावुक हो जाया करता था जब उस खत के किसी अंश पर कुछ शब्द या अक्षर की स्याही बह गयी होती थी, जो शायद लिखने वाले की मोहब्बत आँसुओं के रूप में बरसने के कारण थी। और खत पढ़ने से पहले पढ़ने वाला खत की खुशबू से ही अपने महबूब का दीदार कर लिया करता था।

आज के दौर में पत्र की जगह तो वाट्सएप्प ने ले रखी है। आँसू की बूँदें...वो तो बस इमोजीस में दिखती हैं। तभी शायद किसी को किसी की भावनाओं की कद्र ही नहीं। और इस लड़की की मोहब्बत भी इन्ही इमोजीस और वॉटसऐप पर सिमट कर रह गयी।

ये लड़की  हर वक़्त किसी के ऑनलाइन आने का इंतज़ार करती है, कहीं ऐसा न हो वो ऑनलाइन हो और ये लड़की चूक जाए और माँ के डांटने पर माँ को तसल्ली देते हुए कहती है,

" क्या माँ आप हर वक़्त डांटते हो मैं तो अपनी पढ़ाई के बारे में ही कुछ सर्च कर रही थी।" माँ के जाते ही उंगलिया पुनः बड़ा जटिल सा पैटर्न उन 9 बिंदुओं को जोड़ती हुई बनाती हैं जो वाट्सएप्प खोलने के लिए उसके फ़ोन में लगता था। 

वो लड़की तो इस हद तक उस शख्स की मोहब्बत में डूब चुकी थी कि उसकी कही कोई बात वो कभी नहीं टालती,  जब वो बीमार होती तब जो दवा उसके माता पिता उसे नही खिला पाते, वह मात्र उस शख्स के एक बार कहने से खा लेती, जो वह बस एक मैसेज के रूप में कह दिया करता। लड़की अपनी हर बात उसे बताती अपने सुबह से लेकर सोने तक का पूरा ब्यौरा  उसने उसे दे रखा था। वह लड़की जो बात किसी से ना कह पाती वह उससे कह देती और रो भी लेती। कभी कभी बातों बातों में वह एहसास भी करा देती की वह उससे मोहब्बत करती है परंतु वह शख्स उसे अनदेखा कर देता और उसकी देखभाल को बस केयरिंग गर्ल का टैग देकर चलता बनता।

वो लड़की  चाह कर भी अपनी मोहब्बत का इज़हार नहीं कर सकती थी क्योंकि जिस शख्स से वह इतना प्यार करती थी, वह उसका दूर का रिश्तेदार ही था और उम्र में काफी बड़ा था। इसे इस लड़की का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि लड़की का इश्क़ उम्र के बंधन और समाज की बेड़ियों में बंध कर रह गया। उसके संस्कार भी उसे यह बात अपने माता-पिता से कहने को रोक रहे थे। प्रत्येक बेटी की तरह वह भी अपने माता-पिता को समाज के सम्मुख शर्मिंदा नहीं करना चाहती, उसे उसकी माँ ने बताया हुआ है बेटा हमारा आखिरी ख़्वाब यही है कि तुम्हारा कन्यादान अपने हाथों से करें। यह तमाम बातें लड़की  के युवा मन में एक चक्रवात की भांति उसे अपने में ही भृमित कर रहीं थीं। अंततः उसने समाज के तानों से भयभीत होकर अपनी मोहब्बत को अपने तक ही रहने दिया।

आज भी वो लड़की उस शख्स से उतनी ही मोहब्बत करती है, आज भी वह उसकी हर बात मानती है, आज भी वह दिन भर उसके मैसेज का इंतज़ार करती है, आज भी जब किसी पारिवारिक समारोह में वह उससे मिलती है तो अपनी समस्त भावनाओं को सामाजिक मेल मिलाप के पीछे छिपा कर एक मीठी सी मुस्कान देकर और आम से लहजे में उसका हाल पूछती हुई चलते बनती है।

लड़की का यह व्यवहार उसके संस्कार भी हैं, और उसका भय भी। वो लड़की  उन सभी युवा बालिकाओं का उदाहरण है जो आज भी बढ़ते युग में पिछड़ी मानसिकता के समाज में अपने ख्वाबों और अपनी इच्छाओं की कुर्बानी देती रहती हैं।

प्रतीक्षा है उस युग की जब प्रत्येक माँ-बाप अपनी पुत्री को अपने जीवन का निर्णय लेने दे और जब देश की हर लड़की आज भी  किसी भी कुरीतियों के पिंजड़े से निकल, अपने पंख फैला कर अपनी निजता को प्रदर्शित करे। प्रतीक्षा है जब मोहब्बत जाति-पाँति और उम्र के बंधन को मिटाकर शान से अपना मस्तक उठा सके।



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