वो अनकही मोहब्बत
वो अनकही मोहब्बत
''आज तो देर हो गायी ...मम्मी ....मेरा लंच बॉक्स दो जल्दी से,मोहिनी ने जल्दी-जल्दी अपनी स्कूल की यूनिफॉर्म पहनते हुए कहा. "अभी,बस तैयार है "माँ रसोई मे से चिल्लाई'मोहिनी ने दो चोटी बनाई,स्कूल बेग उठाया और लगभग दौडती हुई घर से निकल गायी."उफ्फ !कितनी देर कर दी तुमने "उसकी सहेली गुलफाम ने झुझलाते हुए कहा ."हां भई....देर हो गई ..तू क्यों मुँह बना रही है?...चली जाती ..ज्यादा जल्दी थी तो। मोहिनी खिसयाती हुई बोली। हां..हां ..ठीक है ..ठीक है ..अब चल भीl देख बादल आ रहे हें ,गुलफाम ने आसमान की तरफ देखते हुए कहा "छाता लाई है क्य?"मोहिनी ने गुलफाम से पूछा।
"हां .. लाई हूँ .."गुलफाम बोली। मोहिनी 16 साल की बहुत ही कमसीन और मासूम लडकी थी.शरीर एकदम छरहरा था उसका। सुबह का समय था,सब बच्चे स्कूल जा रहे थे,झुंड बना बना कर। "देख अगर बारिस आ गयी,तो छाता तो काम करने से रहा ...क्योंकि देख ..हवा बहुत तेज चल रही है, गुल्फाम ने आसमान की ओर देखते हुए कहा, "हम उसी मंदिर मे बैठ जायेंगे,और लंच भी कर लेंगे,"और घर वापस आ जायेंगे...गुलफाम ने मोहिनी की बात बीच मे ही काटते हुए कहा."ओय मैडम! मैम ने कहा है कि अगर जो भी स्कूल नही आएगा उसकी खेर नही... "लो...आ गयी घटा..अब क्या भिगती हुई जाओगी।या तैरकर जाओगी मोहिनी ने शरारत से कहा तभी वारिस आ गयी,और वह दोनो दौड़ते हुए उसी मंदिर मे जा पहुँची,जिस की मोहिनी थोड़ी देर पहले बात कर रही थी,मंदिर पहले से ही बच्चो से भरा हुआ था, जुलाई का महीना था स्कूल अभी खुले ही थे,कुछ विद्यार्थी ने अभी तक स्कूल यूनिफॉर्म भी नहीं बनवाया था और कुछ बच्चे स्कूल की यूनीफोर्म मे भी थे. मोहिनी और गुल्फाम मंदिर के दरबाजे पर ही छाता लेकर खडी हो गयी,मोहिनी बार-बार जगह खाली देखने की कोशिश करती,तभी उसकी नजर कोने में खड़े एक हमउम्र,मसूम से लड़के पर पड़ी जिसने हल्की पीली टीशर्ट और नीली पेंट पहने हुए था, मोहिनी ने जब उस को देखा तो देखती ही रह गायी अपलक...एकटक.... लडका जब शर्माने लगा तो मोहिनी को एह्सास हुआ कि ऐसे किसी को नही देखते है. "चल...वारिस बंद हो गायी " गुल्फाम ने मोहिनी का बेग खिंचते हुए कहा। "हां ...हां ..." मोहिनी जैसे नीद से जागी
आज जैसा मोहिनी को कभी भी मह्सूस नही हुआ था,बहुत बैचैन हो गयी वो,जब भी उस मंजर को याद करती,उसका दिल जोर से धडकने लगता। बार-बार आँखो मे उसी का चेहरा आ जा रहा था,समझ नही पा रही थी कि आख़िर उसको हो क्या गया था? रात मुश्किल से गुजरती,हमेशा मुस्कराने वाली मोहिनी अब शांत सी रहने लगी. सुबह को बिना उठाए उठ जाती और स्कूल के लिए भी तैयार हो जाती l उसकी मम्मी भी हैरान थी, स्कूल जाते हुए उसकी निग़ाहें बस उसी लड़के को ढूंढ़ती ,वो दिखाई दे जाता तो बहुत चहक उठती,नहीं तो बहुत ही उदास हो जाती, ऐसे ही एक साल गुजर गया।
जून मे स्कूल बंद हो गये एक महीना कैसे कटा,यह तो बस मोहिनी ही जानती थी। जुलाई के महीने मे पुन:स्कूल खुले ,लेकीन वह लड़का दिखाई नही दिया। कई दिन गुजर गये,मोहिनी की बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी। एक दिन उससे रहा नहीं गया तो उस ने अपनी सहेली गुलफाम से उस लड़के के बारे मैं पूछा ,तो मोहिनी मायूस हो गईl उसकी सहेली ने बताया कि वह तो यहाँ पढ़ने आया था एक साल के लिए,अब चला गया.
मोहिनी उदास तो हुई,मगर एक नये एह्सास से रूबरू भी, मोहब्बत के एह्सास से...