विश्वास..?
विश्वास..?
एक बार की बात हैं एक बेहद खुबसूरत और कुशल जलाशय था..। सभी प्राणी ओर जीव वहाँ आपस में मिलजुल कर रहते थें..। उस जलाशय में सभी जलीय प्राणी साथ साथ रहते थे..। मछली, कछुआ, सारस, मेंढक.... के अलावा बहुत से छोटे छोटे जीव भी रहते थें...।
उसी तालाब के नजदीक एक बगुला भी रहता था..। लेकिन स्वभाव से वो बहुत आलसी था..। उसे शिकार करने में भी आलस आता था... वो सोचता की ऐसा क्या किया जाए.. जिससे मुझे शिकार करना ही ना पड़े और मेरी भूख भी मिट जाए..। अपने इसी आलस और शिकार ना करने की वजह से वो दिन ब दिन बेहद दुबला भी होता जा रहा था..।
एक दिन उसने एक तरकीब सुझाई और वो सभी जलीय जीवों के पास गया और बोला :-" दोस्तों तुम सब तो जानते हो मुझे अभी अभी एक भयानक सपना आया हैं... मैनें देखा की इस बार यहाँ जबरदस्त सुखा पड़ने वाला हैं... हम सभी पानी की कमी की वजह से मर रहे हैं..। दोस्तों मेरा सपना कभी भी गलत नहीं होता..।"
बगुले की बात सुनकर सभी जीव चिंतित हो गए और आपस में विचार विमर्श करने लगे..।
तभी बगुला फिर से बोला :- "दोस्तों इस आने वाली भयानक त्रासदी से बचने के लिए हम सभी को मिलकर कोई उपाय सोचना होगा..। "
सभी जीव :- हां... बगुला भाई... बात तो तुम्हारी सही हैं..। हम सभी को मिलकर कोई रास्ता निकालना होगा..।"
सभी जीव सोच विचार करने लगे.... तभी बगुला बोला :- "अरे हां दोस्तों... उपाय मिल गया..। मैं भी कितना भुलक्कड़ हूँ..। अरे रास्ता तो बहुत आसान हैं..।"
सभी जीव :- "कौनसा रास्ता भाई..! "
बगुला :-"अरे वो सामने पहाड़ी देख रहे हो... उसके पीछे से शीतल जल का झरना बहता हैं.. वहाँ पानी की कोई कमी नहीं हो सकती कभी भी और पानी भी इतना मीठा और साफ़ सुथरा हैं की क्या कहने..।"
जीव :- "वो तो सब ठीक हैं बगुला भाई पर हम सभी वहाँ तक जाएंगे कैसे..! '
बगुला :- "अरे बहुत आसान हैं.. मैंने वहाँ जाने का छोटा रास्ता देखा हैं.. तो मैं रोजाना एक एक करके तुम सभी को वहाँ तक पहुंचा दुंगा..। सुखा आने से पहले पहले हम सभी नए ठिकाने पर पहुँच जाएंगे..।"
सभी जीव :- "वाह... ये तो बहुत अच्छी बात हैं.. हम सभी आपके शुक्र गुजार रहेंगे..।"
बगुला :- "अरे ऐसा कुछ नहीं हैं..। हम सभी एक परिवार की तरह ही तो हैं..। फिर शुक्रिया कैसा..। "
बगुला अपनी चाल चल चुका था और सभी जीव उस पर भरोसा करने लगे थे..।
अगले दिन से बगुला रोजाना एक एक जीव को पहाड़ी पर ले जाने लगा..। लेकिन उसका इरादा तो कुछ ओर ही था..। वो पहाड़ी पर जीव को ले जाकर वहाँ उसे मारकर खा जाता था..। कभी मछली तो कभी मेंढक.. कभी कछुआ तो कभी सांप... धीरे धीरे सारा जलाशय खत्म होने को आया..। बगुला खा खाकर अब पहले से बेहद स्वस्थ और तंदुरुस्त हो गया था..।
जलाशय के जीव :- बगुला भाई.. पुण्य का कार्य करते करते आपकी सेहत भी पहले से काफी दुरूस्त होती जा रहीं हैं..।
बगुला :- अरे ये तो सब तुम लोगो का प्यार और विश्वास हैं.. जो मुझे सेवा का मौका दिया..।
वो मन ही मन जलाशय के जीवो पर हंसता और उनका मजाक बनाता रहता था..। बगुला अपनी भूख और लालच के हिसाब से अब कभी कभी दिन में दो तीन जीवो को भी ले जाने लगा.. ।
जलाशय में रह रहे बाकी जीवो को तो यहीं लग रहा था की धीरे धीरे सभी प्राणी सुरक्षित जगह पर पहुँच रहे हैं..।
एक रोज एक बुढ़े कछुए की बारी आई.. वो पहाड़ी की तरफ जाने के लिए बगुले की पीठ पर सवार हो गया और खुश होता हुआ उस ओर जाने लगा..। पहाड़ी से थोड़ी दूरी पर ही उस कछुए ने देखा की पहाड़ी पर बहुत सारे जीवों की हड्डीयां जगह जगह बिखरी हुई पड़ी हैं..। बुढ़े कछुए को समझते देर नही लगी की जरुर दाल में कुछ काला हैं..। वो बगुले से कुछ कहता तब तक वो पहाड़ी तक पहुँच गए थे..।
बगुला :- अभी आप नीचे उतरीये.. मैं बहुत थक गया हूँ.. थोड़ी देर यहाँ विश्राम करते हैं फिर उस पार चलते हैं..।
कछुआ बगुले की सारी चालाकी समझ गया था.. वो नीचे उतरने की बजाय बगुले की गरदन को अपने मुंह से दबोच लेता हैं..। बगुला अचानक हुवे इस हमले से छटपटाने लगता हैं..।
जब बगुला थक जाता हैं तो कछुआ उसे छोड़ देता हैं और कहता हैं.. जल्दी बता तुने सभी जीवों के साथ क्या किया हैं..।
बगुला सब कुछ बता देता हैं..।
कछुआ सब सुनने के बाद कहता हैं:- तुने हमारे विश्वास का फायदा उठाया हैं.. तुझे जीने का कोई हक नहीं..।
ऐसा कहकर वो फिर से उसकी गरदन दबोच लेता हैं..।
बगुला रहम की भीख मांगता हैं पर कछुआ उसे तब तक नहीं छोड़ता जब तक उसके प्राण पखेरू नहीं उड़ जाते..।
बगुले के अंत के साथ ही कछुआ धीरे धीरे पुनः अपने पुराने जलाशय की तरफ़ जाता हैं और वहाँ पहुँच कर वो बगुले की सारी असलियत सभी बाकी के जीवों को बताता हैं।
सभी प्राणी बगुले पर अपने विश्वास को लेकर बहुत पछताते हैं.. और कछुए की समझदारी की तारीफ करते हैं..।
भावार्थ :- कभी भी किसी पर भी आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए..। चाहे वक्त कितना भी बुरा आए अपनी समझ , समझदारी और धैर्य से काम लेना चाहिए..।
