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Arti jha

Children Stories Comedy Inspirational

4  

Arti jha

Children Stories Comedy Inspirational

विज्ञापन का भूत

विज्ञापन का भूत

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मैं आप सबको एक वाक़या सुनाती हूॅं जब लॉकडाउन हुआ था न तब मेरा बेटा कुछ ज़्यादा ही टीवी देखने लगा था, टीवी तो मैं भी ज़्यादा देखने लगी थी लेकिन वह विज्ञापन ज्यादा देखा करता था..... देखता था यहाॅं तक तो ठीक था लेकिन अब वह उन विज्ञापनों को अपने जीवन में उतारने लगा था वह विज्ञापन को देख-देखकर उसकी नकल करता था एक दिन उसने बैठे-बैठे मुझसे यूॅं ही पूछ लिया
"मम्मा, विज्ञापन क्या होता है?"
"बस ऐसे समझ ले जैसे एक साधारण सी वस्तु को सुंदर से रैपर में रैप करके पेश करना कि लोग उसपर आकर्षित हो जाएं और खरीदने को मजबूर हो जाए"
 "सच्ची?"
"हां सच्ची"
एक दिन मैंने कहा अप्पी जरा जल्दी से जा नीचे से न 2 किलो आलू लेकर आ देख आलू वाला रेडी जा रहा है तू न 2 किलो आलू ले लेना।मैने उसके हाथ में 10-10के 5 नोट रख दिए उसके जाते ही मैं बालकनी में भाग कर देखने आई कि कहीं गिर पड़ न जाए आखिर बच्चा ही तो है मैने देखा वह सच में सड़क के किनारे लेटा हुआ है मैं जोर से आवाज़ लगाई...
"अप्पी क्या हुआ तू गिर कैसे गया कितनी बार कहती हूॅं देख कर चला कर....पता नहीं ध्यान कहाॅं रहता है तेरा अब उठ जा...
" जो आलू मुझे उठाने आएगा वही तो लूंगा मुझे पता कैसे चलेगा अच्छे आलू का....  वह लेटे-लेटे ज़ोर से चिल्लाया।
"रुक जा मैं तुझे अभी बताती हूं"
जैसे-तैसे वह आलू लेकर आया लेकिन उसकी इस आदत से मैं बहुत परेशान थी आज पापा जी आने वाले थे मैंने उसे बहुत समझाया
"अप्पी बेटा इतनी मस्तियां न कर शाम को तेरे दादाजी आएंगे वो क्या सोचेंगे मैंने तुझे यही सब सिखाया है।" "ओके मम्मा"
शाम को पापा जी अप्पी के लिए बिस्कुट और मिठाइयां लेकर आए उसके हाथ में देते हुए कहा
"यह ले बिस्किट तुझे पसंद है ना"उन्होंने उसे पुचकारा। अप्पी मिठाई एक तरफ सरकाया और बिस्किट को हवा में उछालते हुए फिर उसने कैच किया और कहा
 "जिनके सपने होते हैं बड़े,वो नहीं खाते ऐसे बिस्किट सड़े" मैं बीच में आकर किसी तरह बात सम्भाल पाई "पापा जी मै चाय लाऊॅं ?"
हाॅं हाॅं चाय बना बहू...बहुत थक गया हूं।
मैं अप्पी के कान खींचकर उसे दूसरे रूम में बिठाई और डाॅंट लगाई दादा जी के सामने भी तुमने मस्तियां शुरू कर दी, बेटा सुधर जा वरना तेरी टीचर से कम्प्लेन कर दूॅंगी। "सॉरी मम्मा।" सुबह-सुबह पापा जी टहलने जाते हैं और उससे पहले वो गुनगुना पानी पीते हैं मै अप्पी के हाथ में जग और गिलास देते हुए बोली "जा दादाजी को पानी देकर आ , पापा जी ज्योंहि पानी पीने लगे अप्पी जोर से चिल्लाया
"ठहरो"
पापा जी डर गए और और गिलास से पानी छलक के नीचे गिर गया
"क्या हुआ?"
वह चौंक पड़े
 "ये है जर्म्स का एंट्री पॉइंट तो पहले ब्रशिंग बाद में कुछ....."
 "हट... ये तुम सब के चोंचले हैं...अरे बहू क्या अनाप-शनाप बोल रहा है.... पापा जी नाराज होकर टहलने चले गए। मैंने फिर अप्पी की बड़ी डाॅंट लगाई लेकिन सुधरता कहाॅं है ,उसके दिमाग पर तो विज्ञापन का ऐसा भूत सवार था कि वह हर चीज में ही नकल उतारता  वह हर चीज की कॉपी करता .. अभी मैंने फिर उसे समझाया
"अप्पी बेटा प्लीज विज्ञापनों की नकल नहीं करते....टीवी तो ऐसे ही दिखाते है...इसका मतलब ये थोड़े न है कि हम उसकी कॉपी करते फिरेंगे" .
"ओके मम्मा"
सुबह के साढ़े सात बज गए थे... पापाजी अपने दो मित्रों के साथ आए अप्पी स्कूल के लिए निकल रहा था...
"कैसा है अप्पी?क्या चल रहा है आजकल?"
"अब......इधर तो फॉग चल रहा है..". पीछे मुड़कर उसने दाॅंत निपोड़ा।
"बाय दादा जी...मिलते है शाम को।"
मुझे बड़ी शर्मिंदगी हुई....उसे इतनी भी समझ नहीं मज़ाक मस्ती घर तक ठीक है...पापाजी के फ्रेंड के साथ भी मस्ती। तीन बजे स्कूल से आकर वो खाना खाकर सो गया। शाम को मैने उसे ठंडी स्टिंग पिलाई Wowww मेरा फेवरेट"
"अच्छा अप्पी तू जल्दी से स्टिंग पीकर डेरी से दूध ला दे...आज न दूध फट गया मुझे पापा जी के लिए चाय बनानी है...जल्दी बेटा।" तू फटाफट ला देगा न तो मैं तुझे अच्छा वाला बैट दिलाऊंगी।"
 "ओके मम्मा मै बस ये गया और ये आया।"
"नहीं....मेरे दस गिनने तक तू दूध लेकर आ जा"
"ऐसे थोड़े न होता है मम्मा इतनी जल्दी कैसे आ पाऊंगा"

 "क्यों न आ पाएगा,स्टिंग एनर्जी पी है तूने, एड में देखा नहीं क्या सेकंड भर में चाॅंद पर से आ जाते हैं तुझे तो बस नीचे तक जाना है। चल 1...2...3.........….10 तेरा बैट कैंसिल....तू तो अभी चप्पल ही पहन रहा है
"This is not fair mamma.... वो तो एड है....टीवी में तो ऐसे ही कुछ भी दिखाते है...वो सब सच थोड़े न होता है."...वह झुंझलाते हुए बोला।
"वही तो मै भी कह रही हूँ..विज्ञापन तो बस विज्ञापन है उसे अपनी ज़िंदगी पर क्यों हावी होने देना...देख सब, पर फॉलो उसी को किया कर जो सही है....आई बात समझ में?"
"सॉरी मम्मा"  आज उसने दिल से सॉरी बोला और मुस्कुराकर मुझसे लिपट गया तब तक पापाजी उसके लिए सुंदर सी बैट लेकर आए....
"सॉरी दादाजी"
"अरे कोई नहीं...चल आज हम दोनों मैच खेलेंगे।"
 
आरती


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