त्यूपा पंछी क्यों नहीं पकड़ता..
त्यूपा पंछी क्यों नहीं पकड़ता..
त्यूपा ने देखा कि उससे कुछ ही दूरी पर चिड़िया बैठी है और गाने गा रही है – चिर-चिर कर रही है।
“चिव-चिव !
चिव-चिव !”
“त्युप-त्युप-त्युप -त्युप,” त्यूपा ने कहा। “लपक लूँगा ! हिलगा लूँगा ! पकड़ लूँगा ! खेलूँगा !” और वो चिड़िया की ओर रेंगा।
मगर चिड़िया ने उसे फ़ौरन देख लिया – वो चिड़ियों की आवाज़ में चिल्लाई:
“चिव !-चिव ! डाकू आ रहा है रेंगते हुए ! ये यहाँ छुपा है ! यहाँ है वो !”
और फिर चारों ओर से चिड़ियाएँ उड़-उड़कर आने लगीं, कोई झाड़ियों पे बैठ गईं, कोई बिल्कुल त्यूपा के सामने रास्ते पे।
और लगीं वे त्यूपा पे चिल्लाने:
“चिव-चिव !
चिव-चिव !”
चिल्ला रही हैं, चहचहा रही हैं, कलरव कर रही हैं, मतलब, ज़रा भी सब्र नहीं है।
घबरा गया त्यूपा – ऐसी चीख-चिल्लाहट उसने आज तक नहीं सुनी थी – और वो वहाँ से फ़ौरन हट गया।
चिड़िया उसके पीछे बड़ी देर तक चिल्लाती रहीं।
शायद, वे एक दूसरे को बता रही थीं कि कैसे त्यूपा रेंगा – छुप गया, कैसे वह उन्हें पकड़कर खाना चाहता था। और वे, चिड़िया लोग, कैसी बहादुर हैं और कैसे उन्होंने त्यूपा को डरा दिया।
कोई भी नहीं था जिसे त्यूपा पकड़ सके। कोई भी उसके पंजों में नहीं आ रहा था। त्यूपा पेड़ पर रेंग गया, टहनियों के बीच में छुप गया और इधर उधर देखने लगा।
मगर शिकारी ने तो शिकार को देखा ही नहीं, उल्टे शिकार ने शिकारी को ढूँढ़ लिया।
त्यूपा ने देखा कि वो अकेला नहीं है, कुछ पक्षी उसकी ओर देख रहे हैं, न तो वे छोटे-छोटे गाने वाले पंछी थे, न ही चिड़िया जैसे चिल्लाने वाले पंछी थे, मगर वो कुछ ऐसे थे, कि त्यूपा से थोड़े ही छोटे थे। शायद ये ब्लैकबर्ड्स थे जो घोंसला बनाने के लिए जगह ढूँढ़ रहे थे, और उन्होंने एक अजीब से जानवर – त्यूप्का को देखा।
त्यूपा ख़ुश हो गया।
“मज़ेदार बात है ! त्यूप-त्यूप-त्यूप-त्यूप-त्यूप ! ये कौन हैं? त्यूप-त्यूप-त्यूप-त्यूप ! पकड़ लूँगा ! त्यूप-त्यूप-त्यूप-त्यूप ! लपक लूँगा ! त्यूप-त्यूप-त्यूप-त्यूप ! हिलगा लूँगा ! खेलूँगा !”
त्यूपा बस इतना ही नहीं जानता कि पहले किसे पकड़ना है।
एक ब्लैकबर्ड त्यूप्का के पीछे बैठा है, दूसरा त्यूप्का के सामने – ये यहाँ, बिल्कुल पास।
त्यूपा कभी इधर मुड़ता है, कभी उधर – त्युप-त्युपाता है। कभी एक को, तो कभी दूसरे को देखता है।
पीछे वाले की ओर से मुड़ा, मगर दूसरा, जो सामने था, त्यूप्का पर ऐसे झपटा, चोंच पे चोंच मारे जा रहा है !
त्यूपा ने फ़ौरन त्युपत्युपाना बन्द कर दिया।
वह समझ नहीं पा रहा है कि ये हो क्या रहा है।
उसका अपमान हुआ था ! चोंचें मारी गई थीं !
त्यूपा झाड़ियों में कूद गया – और चल पड़ा, कहीं छुपने के लिए।
और अब अगर त्यूपा किसी पंछी को देखता है, तो उसकी ओर ज़रा भी ध्यान नहीं देता।
इसीलिए त्यूपा पंछी नहीं पकड़ता।