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Pratibha Jain

Children Stories

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Pratibha Jain

Children Stories

सीख़

सीख़

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रविवार का दिन था। स्कूल और कोचिंग की छुट्टी थी। फ्री होने के कारण नेहा अपने पापा की शॉप(दुकाँन) पर पहुँच गई वहा खड़ी हो काका को बहुत देर से देख रही थी की सिलाई करते हुये काका कैची को पैरों पे पास ही छोड़ देते है जबकि सुई को अपने कुर्ते में लगा लेते है।यह देख अब नेहा से रहा न गया उसने पूछ ही लिया "काका आप कैची को पैरों में डाल देते हो और सुई को सभाल कर कुर्ते में रख लेते हो!"

काका में बहुत ही अच्छा जवाब दिया "बेटा जो काटता है उसका स्थान पैरों में ही होता है जो सिलता है उसको सभाल कर रखना होता है उसका स्थान गोद में होता है।"



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