राह
राह
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आज मुक्ता चालीस की हो गयी थी। पर पीछे मुड़ कर देख रही मुक्ता खुद से ही बतियाते कह रही थी, अभी तो चलना बाकी है क्योंकि वो राह आना बाकी है। घर, अच्छा पति, होनहार बच्चे, खुद का करियर सब उसने बड़ी लगन से पाया पर फिर भी असंतोष था, क्या था जिसे वो ढूंढ रही थी।
