नादान जान
नादान जान
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मुक्ता लाइब्रेरी में बैठकर किताब पढ़ रही थी की अचानक वहाँ सुहाग नाम का छोटा बच्चा आया, उसने कहा "मैं कुत्ता हूं" । इस पर मुक्ता ने कहा ऐसा नहीं कहते बेटा। सुहाग ने कहा, मैडम पीहू को जब कोई बिल्ली बुलाता है तो उसे अच्छा लगता है। मुझे कुत्ता पसंद है, तो मुझे कोई कुत्ता क्यों नहीं कह सकते ? मुक्ता हँस पड़ी। यह नादान दिल क्या जाने इन शब्दों का अर्थ।
उम्र के साथ हर वो चीज के मायने बदल जाते हैं। एक छोटी सी गलती पर लोग एक दूसरे से झगड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं। हर दिन की तरह मुक्ता को आज फिर एक नई कहानी मिल गई। भगवान सबके दिल को नादान बच्चे की तरह बनाए रखना।
