परीक्षा
परीक्षा
बेटे का स्कूल की पहली क्लास में दाखिला करवा कर जैसे ही स्कूल से बाहर निकले तो गीता की खुशी का कोई ठिकाना ही न था । मैं पिछले पाँच साल से उसे जानती हूँ।इतना खुश कभी नहीं देखा था ।घर पहुँच गीता घर के कामों में लग गई और मैं जाकर लेट गई ।
लेटते ही पाँच साल पहले की गीता मेरी आँखों के सामने आ गई, जब वह एक साल के बच्चे को गोद मे लिए मेरे घर घुसी थी ।थोड़ी डरी थी ,मुझे देखकर बोली ,"थोड़ी देर रूक जाऊँ माँजी ? कोई मेरा पीछा कर रहा है ।"
आज के जमाने में विश्वास करने पर डर लगता है पर उसका बच्चा देख तरस खा ,बैठने को कह मैं गेट तक गई ।सच में एक डरावनी सी शक्ल का आदमी सड़क के दूसरी ओर खड़ा इसी तरफ देख रहा था । मैं गेट बंद कर अंदर आ गई ।
गीता जमीन पर पोटली रख बच्चे को गोद में लिए जमीन पर बैठी थी ।मैने उसे चाय दी व बच्चे को दूध दे बातें करनी शुरू की । पति की मृत्यु के कारण आज वह ससुराल से यहाँ आगरा आई थी । "पता नहीं भगवान कितनी परीक्षाएँ लेगें?",गीता आप बीती सुनाने लगी । "ससुराल वालों को पोता तो चाहिए पर बहु नहीं ।"राम कसम माँजी ! बच्चे समेत मर जाऊँगी पर इज्जत पर आँच न आने दूँगी।" मैं बेटे को लेकर गाँव छोड़ यहाँ आ गई ।"बस स्टैंड से बाहर निकली तो लगा कोई पीछा कर रहा है "।"दरवाजा खुला देख मैं डरकर अंदर आ गई ।
अब वह नार्मल लग रही थी । मैं उसका जज्बा देख हैरान थी कि एक साल का बच्चा लेकर एक माँ अंजान शहर आ गई। जहाँ हर दिशा दक्षिण है हर तरफ भेडि़ए हैं।
गीता की सब बातें सुन मैने उसे अपने घर में ही पनाह दे दी ।सर्वैंट रूम खाली था।हमारे बच्चे विदेश में थे।
पिछले पाँच सालों में उसनेमुझे कभी तकलीफ नहीं दी ।मेरे बच्चों से ज्यादा मेरा ख्याल रखती है ।जिंदगी की हर परीक्षा में वह अव्वल रही। यहाँ तक की ससुराल व मायके वालों के ढूँढ लेने पर भी जाने से इन्कार कर दिया ।
"माँ जी चाय"। गीता की आवाज ने मेरी सोच को तोड़ा। "अब तो खुश हो ?"
"बहुत खुश ! आपकी वजह से जिंदगी की हर परीक्षा पास कर पाई हूँ,वरना पाँच साल पहले ही किसी नहर में माँ-बेटे की लाश तैरती मिलती ।"
"हट पगली ,ऐसा नहीं कहते ।शुभ -शुभ बोल।"अब सब शुभ ही होगा " आँखें पोंछती वह उठकर रसोई की ओर चल दी .....
