पहचान

पहचान

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सार्वजनिक कार्यालय के काउंटर पर कर्मचारियों की लम्बी कतार। किसी सीट के सामने नाम पट्टिका नहीं। कविता सोच रही थी कि न जाने इन में से रत्ना कौन सी है। पूछने पर एक कर्मचारी ने बताया, ‘पकौड़े-सी नाक, बिल्ली-सी आँखें, हाथी के-से कान और ऊँट के-से होठों वाली महिला रत्ना है।’

कविता कुछ आगे बढ़ी। दिमाग में पकौड़े, बिल्ली, हाथी, ऊँट के चित्र बनने-बिगड़ने लगे तो झुंझलाहट हुई। एक अन्य कर्मचारी से पूछताछ की तो उत्तर मिला, ‘सब से भोली सूरत वाली महिला को रत्ना समझिए।’

कविता सोच रही थी, ‘वाह ! रत्ना के बहाने दो अन्य की पहचान।’



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