आदर्श बनाम यथार्थ
आदर्श बनाम यथार्थ
समाज कल्याण विभाग की ओर से जिला मुख्यालय पर विश्व दिव्यांग दिवस का आयोजन किया जा रहा था। विभिन्न विद्यालयों से पहुँचे दिव्यांग विद्यार्थियों की उपस्थिति में भाषण, गीत, कविताएँ, पोस्टर आदि प्रस्तुत किए गए। अशक्तों को सशक्त बनाने का संदेश दिया गया। रक्तदान, नेत्रदान, देहदान, अर्थदान का महत्व बताया गया। दान-महिमा का ऐसा बखान किया गया कि शिवि, दधीचि को भी याद किया गया। उनके द्वारा किए गए त्याग का जीवंत वर्णन किया गया।
समारोह समापन के समय मुख्य अतिथि ने कहा, ‘आइए, असमर्थ को समर्थ बनाने के पावन यज्ञ में हम सब आहुति डालें, यह हमारा कर्तव्य है। हम संकल्प करें कि इसके लिए सदा बढ़-चढ़कर भाग लेते रहेंगे।
करतल ध्वनि से हाल गूँज उठा। उसी समय कूबड़पन से दोहरे हुए शरीर वाले एक छात्र ने पूछा, ‘सर, आप आँखें दान करेंगे या देह?’
मुख्य अतिथि ने तत्काल बालक की मुठ्ठियाँ टॉफियों से भर दीं।