Ashok Goyal

Others

2.0  

Ashok Goyal

Others

नींदों ने खाये ज़ख़्म जो ख़्वाबों से पूछिये

नींदों ने खाये ज़ख़्म जो ख़्वाबों से पूछिये

1 min
7.2K


नींदों ने खाये ज़ख़्म जो ख़्वाबों से पूछिये,
वो दर्दे-इन्तज़ार निगाहों से पूछिये।

किस पर हैं दाग़ अब ये गुनाहों से पूछिये,
बेहतर तो ये रहेगा जनाबों से पूछिये।

कब हम कनार रखता है दरया भी उस घड़ी,
क्या दर्द है बिखरने का मौजों से पूछिये।

आईने ले के आ गया मैं पत्थरों के बीच,
क्या-क्या हुए हैं ज़ुल्म अज़ाबों से पूछिये।

पत्थर शिकम पे बाँध के गुज़रे हैं किस तरह,
क्या कुछ नहीं सहा, कभी बच्चों से पूछिये।

कटती है किस तरह यहाँ सदियों-सी ज़िन्दगी,
तन्हाइयों के दर्द पहाड़ों से पूछिये।

दो पल की नींद भी तो मयस्सर नहीं इन्हें,
जीते हैं किस तरह ये, उजालों से पूछिये।

नींदों ने खाये ज़ख़्म जो ख़्वाबों से पूछिये,
वो दर्दे-इन्तज़ार निगाहों से पूछिये।

 


Rate this content
Log in