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Ashok Goyal

Others

5.0  

Ashok Goyal

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खुद से भी आशना नही होता

खुद से भी आशना नही होता

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खुद से भी आशना नहीं होता।

इश्क़ में यार क्या नहीं होता।

इश्क़ दीवानगी का आलम है।

इसका अब दायरा नहीं होता।

जब भी होता हूँ रूबरू तेरे।

मुझ को मेरा पता नहीं होता

जब से हारा ज़मीर से अपने।

अब कोई हादसा नहीं होता।

अब फ़क़त मौत ही नहीं आती।

इश्क़ में वरना क्या नहीं होता।

हम जो फ़ितरत से बा वफ़ा होते।

तो कोई बे वफ़ा नहीं होता।


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