मूषक राजा
मूषक राजा
मूषकनगर में चूहों का बहुत बड़ा साम्राज्य था। उसका राजा मूषक का बेटा मूषक सिंह बड़ा ही शरारती था। वो अक्सर दूसरो का खाना चुरा कर खा लिया करता था । यहां तक कि दुश्मन दल के लोगो का खाना और बाकी चीज़े भी चुरा लिया करता था ।
उनकी दौलत और साम्राज्य पर अपना कब्जा कर लेता था और वहा तक अपने साम्राज्य को बढ़ा रहा था। उनका साम्राज्य खत्म करने के लिए दुश्मन दल के लोग बहुत साजिश कर रहे थे। उनको मारने के लिए दुश्मनों ने काफी प्रयास किए। उन्होंने उसे मारने के लिए जहर वाला खाना रखा । वो अलग अलग व्यंजन रखने लगे ।
"कभी बिस्किट तो कभी केक "लेकिन मूषक सिंह इतना शातिर था कि अपने दिमाग से काम लेता था और बचकर निकल जाता था। मूषक सिंह के राज्य में एक परिवार और रहता था। उसमे चुहिया रानी नाम की लड़की रहती थी। वो मन ही मन मूषक सिंह से प्यार करती थी लेकिन कभी अपने दिल की बात उसे ना कह पाई ।
क्योंकि उसे डर लगता था कि कही वो उसे खो ना दे। क्योंकि वो एक राजकुमार था और उसका इतना बड़ा साम्राज्य था। उसे बुरा लग जाता तो वो चुहिया रानी को राज्य से बाहर निकाल देता। ये सोचकर वो चुप रही। मूषक सिंह को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था।
वो बस अपने राज्य को बढ़ाने में लगा था। उससे मूषक भी अपने बेटे की कामयाबी पर खुश था। वो उसे शबासी देता और उसकी हौसला अफजाई करता। एक दिन दुश्मनों ने मूषक सिंह को फंसाने के लिए जाल बिछाया। बदकिस्मती से मूषक सिंह उसमे फंस गया।
उसने बहुत कोशिश की निकलने की लेकिन सारी कोशिश नाकाम हो गई। तभी उसकी नजर चुहिया रानी पर गई। चुहिया रानी चुपके से उसके पास आई और उसको बचाने के लिए उसने पिंजरे का दरवाजा खोल दिया। मूषक सिंह बाहर आ गया।
उसने चुहिया रानी को अपनी जान बचाने के लिए धन्यवाद दिया और उससे शादी का प्रस्ताव रखा। चुहिया रानी बहुत खुश हो गई और उसने अपने दिल की बात मूषक सिंह को बता दी। मूषक सिंह बहुत खुश हुआ। उसके बाद दोनों ने शादी कर ली। अब चुहिया रानी अपने पति मूषक सिंह के साथ साम्राज्य बढ़ा रही थी।
