मेरे पापा !
मेरे पापा !
यह बात दो-तीन साल पुरानी है। उस दिन मैं बहुत दुखी थी। क्योंकि मेरी फ्रेंड और मुझ में लड़ाई हो गई थी। इसलिए मैंने अच्छे से खाना भी नहीं खाया था। फिर मम्मी ने मुझसे पूछा," क्या हुआ खुशी।" पहले तो मैंने कुछ नहीं बताया। फिर थोड़ी देर बाद, मैंने मम्मी को सब कुछ बता दिया कि मेरी फ्रेंड और मुझमें लड़ाई हो गई हैं। मम्मी ने कहा," चल कोई बात नहीं, दोस्ती मैं तो लड़ाई-झगड़ा चलता रहता है। फिर थोड़ी देर बाद शाम हो गई। पापा घर पर आ गए थे। मम्मी ने पापा से कहा," खुशी बहुत दुखी हैं, आज उसकी अपने फ्रेंड से लड़ाई हो गई हैं।" पापा बाहर जा रहे थे। मम्मी ने कहा," अपने साथ ख़ुशी को भी बाहर ले जाइए।" उसका मूड भी ठीक हो जाएगा। पापा ने कहा," ठीक है।" फिर मैं तैयार होकर पापा के साथ चली गई। पापा ने मुझे आइसक्रीम खिलाई, चॉकलेट दिलाई और भी बहुत कुछ। तब जाकर मेरा मूड कुछ अच्छा हुआ। पापा ने वह सब कुछ किया, जिससे मेरा मूड ठीक हो जाए। वह दिन मुझे आज भी याद है, क्योंकि वह वह दिन मेरे लिए बहुत खास था। क्योंकि उस दिन मैं अपने पापा के साथ बाहर गई थी, जैसा कि पहले मेरे साथ कभी नहीं हुआ। मैं और मेरे पापा उस दिन बहुत खुश थे और हमेशा ऐसे ही मेरे ऐसे ही खुश रहे, यही मैं चाहती हूँ। फिर हम घर पर वापस आ गए और जब मैं अगले दिन स्कूल गई तो मेरी उस फ्रेंड से मेरी दोस्ती भी हो गई। वह दिन बहुत ही अच्छा था। उस दिन मेरे पापा भी खुश, मैं भी खुश और मेरी फ्रेंड भी खुश। भगवान ऐसे पापा सभी को दें, जो अपनी बेटी से इतना प्यार करते हैं।