माँ को salute
माँ को salute
आज घर में मेड नहीं आयी और मेहमानों को आना था।मेड के ना आने से मुझे लगा सारे काम मेरे सामने जैसे एक बहुत लंबी लाइन में खड़े हो गए।लेकिन सोच को झटकते हुए और काम के टेंशन को साइड करते हुए मेहमानों की आवभगत की सारी तैयारी कर ली।मेहमान आने के बाद बातचीत भी हुई और बड़े खुशनुमा माहौल में खाना भी हुआ।हम सब ने खूब इंजोय भी किया।
इस सब एक्सपीरियंस में बार बार माँ की मूर्ति आँखों के सामने कौंध रही थी जो सर्दी गर्मी में भी चूल्हे पर बिना कुकर,गैस,मिक्सर के खाना बनाती थी चाहे कितने भी मेहमान आयें और तो और किसी मेड की हेल्प लिए बिना।
घर में जो कुछ भी होता था उसी में कुछ बनाकर वह हँसकर मेहमानों की आवभगत करती थीं।
सच में,आज मुझे माँ और उनकी जेनेरेशन की महिलाओं को सैलूट करने का बहुत मन हो रहा था.....
