Aniket Guru

Children Stories Classics Children

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माँ का कर्ज

माँ का कर्ज

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नई कर और नए घर के साथ मैं इस नए शहर में शिफ्ट तो हो गई पर मेरा मन अब भी मेरे परिवार में ही लगा था उनकी याद और साथ गुजरा अब तक का जीवन बार बार मेरे दिमाग में ऐसे आ रहा था जैसे सब सामने ही हो ।

कुछ देर आराम करने के बाद मैने घर के लिए फोन लगाया , परिवार वालों से बात करके दिल को सुकून मिला और फिर मैं नहाने चली गई

आज रात का खाना खाकर कल का सारा शेड्यूल सेट किया 

दूसरे दिन जाकर हॉस्पिटल ज्वाइन करना था, 

मेरा बचपन का सपना था शहर के बड़े हॉस्पिटल में एक डॉक्टर बनना , मेरे परिवार का भी पूरा साथ रहा और आज मैं कार्डियोलॉजिस्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर बन ही गई

सुबह होते ही जल्दी जल्दी मैं तैयार हुई और हॉस्पिटल को निकल गई , हॉस्पिटल में मेरा स्वागत फूल माला और गुलदस्तों के साथ हुआ 

दिन भर मरीजों को देखने के बाद शाम को एक बार फिर मरीजों का चेकअप करना होता था

और घर आकर परिवार वालो से बात करने के बाद नींद अच्छी आती थी 

दिन गुजरे और महीने हो गए , अब वो शहर मेरे लिए नया नही रहा बल्कि मुझे यहां अच्छा लगने लगा था 

लोगो का इलाज करना , लोगो की दुआएं मिलना , आदि में अब जीवन अच्छा लगने लगा था जैसे यही जिंदगी है

कभी कभी ऐसे मरीजों का भी इलाज किया जिनकी जिंदगी और मौत का सवाल होता था तो एक वक्त को तो मेरे भी मन में डर सा लगता की कहीं कुछ गलत न हो जाए पर कभी हुआ नही और यही वजह रही की साल भर में ही में मशहूर डॉक्टर बन गई थी

एक दिन अचानक से रात को 3 बजे मुझे एक फोन आया की मैडम जल्दी हॉस्पिटल आ जाइए एक इमरजेंसी है

मैं आनन फानन में निकल गई खुद की कार थी इसलिए आने जाने में कोई दिक्कत नही होती थी

मैं जैसे ही कपड़े बदलकर इमरजेंसी वार्ड में पहुंची वहां एक वृद्ध आदमी लेटा हुआ था बेसुध सभी नर्स उसे ट्रीट कर रही थी ऑक्सीजन पंप से उसे लगातार ऑक्सीजन दी जा रही थी मैंने भी जाकर उसका इलाज शुरू कर दिया मालूम चला की उस वृद्ध आदमी को हार्ट अटैक आया था और रास्ते में बेसुध पड़ा था कोई राहगीर उसे अपने साथ लेकर आया है

मेरी एक नजर उस आदमी के चेहरे की तरफ गई ,मेरी आंखे फटी रह गई चेहरे की हवाइयां उड़ गई आंसू आंखो में भर आए

वो मेरे नाना थे ,,,,, होठों से बस एक ही शब्द निकला

 'नाना ' ..........

 बहुत देर इलाज के बाद उनकी हालत सुधरी

उनको इंजेक्शन देकर आराम करते छोड़कर मैं ऑफिस में आई और घर फोन लगाकर बताया की नाना जी हॉस्पिटल में एडमिट है

कुछ देर बाद सब आ गए मैं चाह कर भी नही रो पा रही थी क्युकी एक डॉक्टर होने के नाते मैं जानती थी की वो अब खतरे से बाहर है

पर उनकी गुड़िया होने के नाते दिल बहुत दुखी था उन्हें इस हालत में देख कर मेरी आंखो से आंसू रुक ही नही रहे थे

दो दिन तक लगातार इलाज चलने के बाद भी उनके स्वास्थ्य में कोई अंतर नही आया तो उनकी टेस्ट करवाई गई

और टेस्ट से पता चला की उनका हार्ट ट्रांसप्लांट करवाना होगा

घर वालो को जब ये बात पता चली तो सब बहुत घबरा गए 

मैने अपने सभी सीनियर डॉक्टर को इ मेल करके पता किया पर सबकी सलाह हार्ट ट्रांसप्लांट ही थी

आखिर कर उनका हार्ट ट्रांसप्लांट करवाना ही उचित समझ कर सबने हां कर दी

दस दिन गुजर गए थे पर नाना के मुंह से मेरी गुड़िया सुनने को में तरस गई थी

उस शहर में मैं ही मशहूर डॉक्टर थी और हार्ट स्पेशलिस्ट भी थी तो ये ट्रांसप्लांट मुझको ही करना था क्युकी एक डॉक्टर होने के नाते ये मेरा फर्ज था पर कहीं न कहीं ये दर भी लग रहा था की मैं अगर इस बार असफल हुई तो........ 

क्योंकि डॉक्टर के हाथ बास कोशिश होती है जिंदगी और मौत का फैसला तो ऊपर वाला ही करता है

सारी तैयारियां हो गई हार्ट ट्रांसप्लांट होने की मैं ऑपरेशन थियेटर में थी नाना को निहार रही थी जिन हाथो से वो मेरे नन्हे नन्हे हाथों को पकड़कर चलना सिखाते थे आज उनमें सिरिंज घुसी थी उनकी इस बूढ़ी चमड़ी में नसे साफ नजर आ रही थी 

बचपन में जिस दिल की धड़कन को मैं उनके सीने पर सर रख कर सुना करती थी आज उसे ईसीजी मशीन में साफ साफ देख रही थी

जिन होटों से वो मुझे गुड़िया गुड़िया बुलाते थे आज उन होठो पर ऑक्सीजन मास्क एलजी हुआ था , 

मैं अपने हाथो को उठा नही पा रही थी कैसे इस छाती पर चाकू और कैंची चलाऊ जिस पर में सर रख कर दिया करती थी

बहुत हिम्मत के बाद जैसे ही मैंने नोक को उनके सीने पर रखना चाहा मेरे हाथ कांपने लगे मन घबराने लगा 

आज तक इतने केस सॉल्व किए लेकिन कभी हाथ नही कांपे आज हिम्मत नही हो रही थी नर्स और बाकी स्टाफ मेरी तरफ देखे जा रहा था

आखिर कार नाना की इस हालत को देख कर मैंने हिम्मत से काम लिया और कई घंटे तक ऑपरेशन करने के बाद उनका सफल हार्ट ट्रांसप्लांट कर दिया

जैसे ही ऑपरेशन पूरा हुआ में बाहर गई सबने मुझे बाहों में भर लिया और मैं जोर जोर से रोने लगी सब बहुत अचंभित थे की आखिरकार मैं क्यों रो रही हूं

पर मेरी मां सब समझ गई उसने मुझे गले लगाया और बोला ' शाबाश , तू मेरी बेटी नही भगवान है तू नही जानती तूने आज मुझे मेरे पापा की जिंदगी देकर अपनी इस मां का कर्ज चुकता कर दिया ।'

दूसरे दिन नाना को होश आया और होश आते ही सबसे पहले गुड़िया कहा है बोलकर मुझे बुलाया

कुछ दिनों वाद वो बिल्कुल स्वस्थ हो गए।


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