क्या पता
क्या पता
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आज फिर रात सपने में उसको देखा
वह हमेशा की तरह मुस्कुराकर यही कह रही थी
तुम बहुत शर्माते हो ,तुम बहुत शर्माते हो,
और मैं बस उसे देखता रहा और कुछ बोल भी ना पाया,
क्या पता था कि फिर कभी उसे देख भी ना पाऊंगा,
क्या पता था कि फिर कभी उससे कुछ बोल भी ना पाऊंगा।