Akanksha Gupta

Children Stories

5.0  

Akanksha Gupta

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कीचू और पीचू का बसंत

कीचू और पीचू का बसंत

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एक जंगल में एक चीनू चिड़िया रहा करती थी। उसके साथ दो छोटे छोटे बच्चे कीचू और पीचू भी रहते थे। वह उन दोनों को अकेला छोड़कर अपना भोजन जुटाने के लिए दूर तक सफर तय करती थी और रास्ते मे बिखरे हुए अनाज के दाने अपनी चोंच में भरती हुई अपने घोंसले में जमा करती हुई अपने बच्चों का पेट भरती थीं। इस तरह उनका जीवन सुखपूर्वक चल रहा था।

एक दिन जब चीनू चिड़िया दाने जमा करने के लिए सफर पर निकली तो हमेशा की तरह कीचू और पीचू अकेले रह गए। कीचू और पीचू अपने घोंसले में सो रहे थे कि तभी पीचू के ऊपर कोई चीज गिरी। वह नींद में था इसलिए उसने ध्यान नहीं दिया। कुछ देर बाद फिर ऐसा ही हुआ। अब पीचू बुरी तरह डर गया था।

उसने डरते हुए कीचू को उठाया। कीचू उठने के लिए तैयार नहीं था लेकिन उसके ऊपर भी कुछ गिरा। अब कीचू भी बुरी तरह डरा हुआ था। उन दोनों ने चारों तरफ ध्यान से देखा तो पेड़ो से सूखे पत्ते झड़ कर नीचे गिर रहे थे। दोनों यह देखकर डर गए। उन्होंने अपने दोस्त मिकी मोर से सुना था कि जल्दी ही इस धरती पर जंगल, पेड़, पशु-पक्षी सभी गायब हो जायेंगे।

कीचू और पीचू यह सोचकर डर गए। वह अपने दोस्त मिकी के पास जाना चाहते थे लेकिन उनके छोटे पंख कमजोर थे। उन्हें उड़ना भी नहीं आता था। मिकी मोर ही उन दोनों के पास आकर उन्हें जंगल की हर खबर देता था। 

अब उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वे करें तो क्या करे? वह घोसले में दुबक कर बैठ गए। बाहर पत्तों की सरसराहट हो रही थी। हवा और तेज हो गई थी जिसकी वजह से सूखे पत्ते और तेजी से गिरने लगे। यह सब देखकर कीचू और पीचू बहुत डर गए और अपनी मां चीनू चिड़िया का इंतजार करने लगे।

शाम को जब चीनू चिड़िया दाने लेकर वापस आई तो कीचू और पीचू को डरा हुआ देखकर हैरान रह गई क्योंकि उनके घर के पास उनका कोई भी दुश्मन नही था। वहाँ सभी पशु पक्षी मिलकर रहते थे। चीनू ने जब दोनों से डरने की वजह पूछी। कीचू और पीचू ने अपने साथ घटी हुई हर घटना बताई।

कीचू और पीचू यह देखकर हैरान रह गए थे कि उनकी मां उनकी मदद करने की बजाय हँस रही थी। जब उन्होंने चीनू से इसकी वजह पूछी तो चीनू ने बताया कि यह बसंत ऋतु के आने से पहले का मौसम है। जिसमें पुरानी पत्तियाँ झड़ जाती है और नई पत्तियाँ नए फूल आते है और फिर नया वर्ष शुरू होता है। यह एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है और इसमें डरने की बात नहीं है।

कीचू और पीचू अब बिल्कुल तैयार थे बसंत ऋतु के आगमन के लिए।


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