जुनून
जुनून
एक प्यारा सा गाँव था।उस गाँव मे प्यारा सा विद्यालय था।उस विद्यालय मे सोनू नाम का एक बालक पढ़ता था।वह प्रतिदिन विद्यालय समय पर जाता था।सोनू की एक छोटी बहन थी उसका नाम सोना था।
वह णणणप्रतिदिन सोनू भाई को विद्यालय जाते हुए देखती और खूब खुश हो जाती जब सोनू तय्यार हो कर विद्यालय यूनिफार्म जूता मोजा पहनकर बैग टाँग कर विद्यालय जाने लगता सोना हर दिन सोनू भाई को नमस्ते करती और कहती आज विद्यालय से जो भी सीख कर आना मुझे जरूर बताना।और यही नही जब विद्यालय से सोनू वापस आता सोना हर दिन सवाल पूछती आज क्या सीखा क्या पढ़ा हमे भी बताओ फिर दोनों भाई बहन बाते करते-करते पढ़ाई भी करते।
एक दिन सोना ने सोनू से कहा!
"सोनू भाई एक बात कहूँ आप गुस्सा तो नही होगे।"
सोनू ने कहा "बताओ क्या बात है। मैं गुस्सा नहीं होऊंगा।"
"सोनू भाई मुझे भी स्कूल जाना है अम्मी पापा से आप कहो तो शायद मान जायें मै तो जब भी कहती हूँ अम्मी पापा दोनों लोग गुस्सा हो जाते है कहते है तुम्हे पढ़ाने से क्या भायदा तुम तो लड़की हो। तुम्हे एक दिन दूसरे के घर जाना है। मुझे भी विद्यालय जाना है मै भी खूब पढ़ लिखकर अपने पैरों पर मजबूती से खड़े होना चाहती हूँ ताकि मै खुद के लिये और अपनो के लिये,समाज के लिये और अपने प्यारे देश भारत के लिये जीते जी कुछ कर पाऊँ।"
"अरे मेरी प्यारी बहन सोना तुम तो बहुत बड़ी-बड़ी बाते करती हो पर मै तुम्हारी कोई मदद नही कर सकता।तुम्हे खुद यकीन दिलाना होगा अम्मी पापा को के तुम पढ़ना चाहती हो क्योकि हर माँ बाप अपने बच्चों को एक समान प्यार करते हैं, रही बात तुम्हे विद्यालय ना भेजने की जो भी कारण है वो तुम बात करो मुझे यकीन है अम्मी पापा मान जायेंगे।चलो अभी बात करो वो भी बहुत प्यार से क्योकि वो हमारे अम्मी पापा है हम से ज्यादा हमारा भला क्या है अच्छे से जानते है।
चलो देर ना करो मै भी साथ चलता हूँ इस समय पापा भी है।"
"ठीक है चलो।"
"अम्मी पापा मैने होमवर्क कर लिया।"
"सोना आपसे कुछ कहना चाहती है।"
"हाँ सोना बताओ क्या बात है?"
"अम्मी मुझे भी विद्यालय जाना है हम आपसे और कुछ नही मागेगे मुझे सिर्फ पढ़ना है। हम कभी चॉकलेट नहीं मांगेगे, नये कपड़े भी नहीं लेगे,मै कोई ज़िद भी नही करूँगी बस मुझे पढ़ना है बड़े होकर कुछ बनना है अगर कुछ नही बन पायी तो एक अच्छा इंसान जरूर बन जाऊँगी पर जाहिल नहीं कहलाऊंगी।"
अम्मी पापा बिल्कुल खामोश थे, आज उन्होंने डाँटा नही कुछ कहाँ भी नही।
सोना को पापा ने गोद मे उठा लिया और कहा "हाँ सोना कल से तुम विद्यालय जाओगी।मै कल ही तुम्हारा नाम लिखवा दूँगा। "
अम्मी ने भी सोना को खूब दुलार किया और कहाँ अब मेरे दोनों बच्चे पढ़ने जायेंगे।
शिक्षा,,
हमें अपने हक के लिये खुद ही बोलना होगा।
शिक्षा हमारा अधिकार है हमे कहना होगा।।
