बैग
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मां मुझे नया बैग आज दिला दीजिए कितने दिनो से मैं आपसे कह रहा हूं अगर आज आपने नया बैग नही दिलाया तो कल से आप मुझे स्कूल जाने के लिए नही कहिएगा।
इतना कह कर सोनू जोर जोर से रोने लगा।
मां दौड़ कर सोनू के पास आई और बोली बेटा क्या बात है तुम इतना क्यों परेशान हो तुम्हारे पिता जी काम की तलाश में शहर गए है घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है जैसे तैसे घर का खर्च ही बड़ी मुश्किल से चल रहा है तुम कुछ दिन और सब्र कर लो जैसे ही तुम्हारे पिता जी शहर से आ जायेगे मैं सबसे पहले तुम्हे बैग दिला दूंगी तू इस तरह जिद न कर मुझे दुख होता है।
नही मां मुझे आज ही चाहिए नया बैग मेरे सब दोस्तो के पास नया बैग है इसलिए सब मेरी हंसी उड़ाते हैं।
बेटा अगर वो सच में तेरे दोस्त है तो वो कभी हंसी नही उड़ायेगे।
रही बात नए बैग की फिलहाल में इस बैग को धुलकर साफ कर देती हूं।
मां ये देखिए बैग कई जगह पर फटा हुआ है।
कोई बात नही मै धूल कर अच्छी तरह सील दूंगी।
और हां तू मेरा समझदार बेटा है इस तरह रोया न कर,
तुझे याद है कल जब मैने कहानी सुनाई थी उस कहानी से क्या शिक्षा मिली थी
हां मां याद है खुशी में ज्यादा मस्त न हो और गम में ज्यादा पस्त न हो।
फिर आज तुम जरा से गम में कैसे पस्त हो गए ।
चलो अब हाथ मुंह धुलकर खाना खा लो।
ठीक है मां आप खाना लगाए मुंह हाथ धुलकर हम अभी आते है।
पर आप मुझे पिता जी के आने के बाद बैग जरूर दिलाना।
मैं खुद तुझे तेरी पसंद का बैग दिलाने बाजार तेरे साथ चलूंगी और चाकलेट भी दिलाउगी।
सोनू मां की बात सुनकर बहुत खुश हुआ वो मां से सॉरी बोलता हुआ गले से लग गया और बोला मां अब मै कभी जिद नही करुगा।
*शिक्षा* हमे जिद नही करना चाहिए।
शमा परवीन बहराइच उत्तर प्रदेश
