सेब
सेब
राजू के पास चार रुपए थे। उसे सेब खाने का मन था। राजू सेब लेने एक फल के ठेले पर गया, वहाँ बहुत भीड़ थी।
राजू उसी भीड़ में खड़ा होकर अपनी बारी का इन्तजार कर रहा था कि कैसे सेब लेने का मौका मिले, साथ ही वह ये भी सोच रहा था कि चार रुपये का सेब मिलेगा कि नहीं? वह इरादा कर चुका था कि जैसे ही भीड़ खत्म होगी, वह फल बेचने वाले चाचा से निवेदन करके छोटा-सा सेब चार रूपये में ले लेगा, पर आज सेब लेकर जरूर खाऊँगा, चाहे डाँट ही पड़ जाये।
अभी राजू खयाल में ही डूबा था कि फल वाले चाचा ने पूछा-, "तुमने सेब के पैसे दिये है। ये लो एक किलो सेब।"
राजू सेब की थैली पकड़ते हुए हैरान हुआ और थैली खोलते हुए इतने सारे सेब देखकर मन ही मन ललचा रहा था। इतने में फल बेचने वाले चाचा ने डाँटते हुए कहा-, "अरे, बेवकूफ! जब से आया है, न जाने कहाँ खो जाता है? मैं बहुत देर से देख रहा हूँ। तू लोगों को ठेले के करीब नहीं आने दे रहा है। अब हटो यहाँ से। दूर जाके थैली को निहारो या अगर और फल लेना हो, तो बताओ। दो सौ रुपये तुमने दिये। तुम्हें एक किलो बढ़िया सेब दिया है, पर तुम हो कि बार-बार थैली खोल रहे हो। क्या नहीं लेना है? अगर न लेना हो, तो बताओ! हम तुम्हारे पैसे वापस कर दें।"
राजू ने उत्तर देते हुए कहा-, "चाचा! मुझे सिर्फ एक सेब चाहिए, वह भी सिर्फ चार रुपये में, क्योंकि मेरे पास सिर्फ चार रुपए है। ये लीजिए, ये एक किलो सेब। मेरे नहीं हैं। मैंने आपको दो सौ रुपये नहीं दिये हैं। मेरे पास सिर्फ चार रुपए हैं। अगर आपको एक सेब देना हो, तो दे दीजिए।"
राजू की बात सुनकर चाचा ने राजू की ईमानदारी को देखते हुए दो सेब चार रुपये में दिये और सर पर हाथ रखते हुए बोले-, "बेटा! अपनी ईमानदारी हमेशा बरकरार रखना।"
राजू सेब लेते हुए खुशी से बोला-, "मैं प्रतिदिन समय से स्कूल जाता हूँ। मेरे टीचर कहते हैं कि हमें हर हाल में सत्य बोलना चाहिए। इसलिए मैं हमेशा सच का दामन पकड़कर ईमानदार रहूँगा।
#संस्कार_सन्देश-
हालात कैसे भी हों, सच्चाई के साथ रहने वाले हमेशा ईमानदार होते हैं।
