Charumati Ramdas

Children Stories

4  

Charumati Ramdas

Children Stories

जब डैडी छोटे थे - 4

जब डैडी छोटे थे - 4

4 mins
82


जब डैडी छोटे थे तो वो बहुत बीमार रहते थे। उन्हें हमेशा ज़ुकाम रहता था। कभी वो छींकते, कभी खाँसते, कभी उनके गले में दर्द होता, तो कभी कान दर्द करता। आख़िरकार उन्हें डॉक्टर के पास ले गए, जिसके दरवाज़े पर लिखा था- "कान, गला, नाक"।

 "क्या ये उसका नाम है?" छोटे डैडी ने दादा और दादी से पूछा।

 "नहीं," उन्होंने कहा, "वो इन सबका इलाज करता है। तू चुप ही रह !"

डैडी के कान, डैडी का गला और डैडी की नाक देखने के बाद डॉक्टर ने कहा कि ऑपरेशन करना पड़ेगा। और डैडी को लेकर दादा-दादी मॉस्को आए। उनके गले की गिल्टियाँ काटनी थीं।

बेहद बूढ़े, बेहद कठोर, बेहद सफ़ेद बालों वाले डॉक्टर-प्रोफेसर ने उनसे कहा-

"बच्चे, मुँह खोलो !"

डैडी ने अपना मुँह खोल दिया, मगर उसने, बिना 'थैन्क्यू' कहे अपना हाथ डैडी के मुँह में घुसा दिया, और भीतर, कहीं बहुत गहरे-गहरे घुस गया, और वहाँ कुछ-कुछ करने लगा। ये सब बहुत अप्रिय था, दर्द भी ख़ूब हो रहा था। इसलिए, जब डॉक्टर-प्रोफेसर ने कहा- "ये रहीं वो, नन्हीं-नन्हीं चीज़ें !" और वह ज़ोर- ज़ोर से वहाँ दबाने लगा, मगर अचानक बड़े डरावनेपन से चीख़ा और झटके से डैडी के मुँह से अपना हाथ बाहर निकाल लिया। सभी ने देखा कि उसकी बड़ी ऊँगली खून से लथपथ है। ख़ामोशी छा गई। फिर डॉक्टर-प्रोफेसर ने कहा-

"आयडीन !"

उसके सामने फ़ौरन आयडीन की शीशी बढ़ाई गई, उसने ख़ुद ही अपनी बड़ी ऊँगली पर आयडीन पोत ली। फिर उसने कहा-

"कॉटन और बैण्डेज !"

उसे कॉटन और बैण्डेज दिया गया, और उसने एक ही हाथ से अपनी ऊँगली पर बैण्डेज बांध लिया।

फिर डॉक्टर-प्रोफेसर ने धीमी आवाज़ में कहा-

 "मैं चालीस साल से काम कर रहा हूँ। पहली बार मुझे किसीने काटा है। जो चाहे, इस बच्चे का ऑपरेशन कर दे। मैं जा रहा हूँ ! मैं 'हाथ धो लेता हूँ !' "

इसके बाद उसने सचमुच में साबुन से अपने हाथ धोए और चला गया।

दादाजी डैडी पे बेहद गुस्सा हुए। वह बोले-

 "तुझे मॉस्को लाए ! कि तेरा इलाज करेंगे ! और तूने ये क्या कर डाला? ध्यान रहे – यहाँ बगल में दाँतों के डॉक्टर की कैबिन है। वहाँ ऐसे बच्चों के दाँत उखाड़ लेते हैं, जो डॉक्टरों को काटते हैं। क्या तू पहले वहाँ जाना चाहता है? और मैंने तुझसे प्रॉमिस किया था कि ऑपरेशन के बाद आईस्क्रीम दूँगा !"

आईस्क्रीम की बात सुनकर डैडी सोच में पड़ गए। बात ये थी कि उन्हें आईस्क्रीम नहीं दी जाती थी। डरते थे, कि उन्हें ज़ुकाम हो जाएगा और नाक, कान गला दर्द करने लगेंगे। मगर डैडी को तो आईस्क्रीम बेहद पसन्द थी। उन्हें बताया गया कि ऑपरेशन के बाद सभी बच्चों को आईस्क्रीम देना ज़रूरी होता है – ये बहुत फ़ायदा पहुँचाता है, इससे ख़ून बहना बन्द हो जाता है। उन दिनों वाक़ई में ऐसा ही करते थे। इसलिए, आईस्क्रीम के बारे में सोचकर डैडी ने कहा-

 "अब मैं ऐसा नहीं करूँगा।।।"

फिर भी उस नौजवान डॉक्टर ने, जो ऑपरेशन कर रहा था, डैडी को चेतावनी दी-

 "याद रख, तूने प्रॉमिस किया है !"

डैडी ने फिर से दुहराया-

 "नहीं काटूँगा।"

डैडी को कुर्सी पे बिठाया गया और उनके हाथ-पैर पकड़ के रखे गए। ऐसा इसलिए नहीं किया कि वो काटते थे। ऐसा सभी बच्चों के साथ किया जाता है, जिससे वे डॉक्टर को डिस्टर्ब न करें। बहुत तकलीफ़ हो रही थी। मगर डैडी आईस्क्रीम के बारे में सोचते रहे और तकलीफ़ बर्दाश्त करते रहे। फिर डॉक्टर ने कहा-

 "बस, हो गया ! शाबाश ! रोया भी नहीं।"

डैडी बहुत ख़ुश हो गए। मगर तभी डॉक्टर चिल्लाया-

 "आह, माफ़ करना, एक और टुकड़ा रह गया ! थोड़ी देर और बर्दाश्त करेगा?"

 "करूँगा," डैडी ने कहा और फिर से आईस्क्रीम के बारे में सोचने लगे।

 "अब ठीक है," डॉक्टर ने कहा, "अब सब कुछ हो गया ! शाबाश ! ज़रा भी नहीं रोया ! अब तू आईस्क्रीम खा सकता है। तुझे कौनसी आईस्क्रीम पसन्द है?"

 "क्रीम वाली," डैडी ने कहा और दादाजी की तरफ़ देखा। मगर दादा अभी भी डैडी पर गुस्सा ही थे।

 "बगैर आईस्क्रीम के भी सब ठीक हो जाएगा !" उन्होंने कहा। "ये काटने की आदत छोड़ दे।"

अब डैडी समझ गए कि आईस्क्रीम नहीं मिलेगी, और वो रोने लगे। सबको उन पर बहुत दया आई। मगर दादाजी अपनी ज़िद पर अड़े रहे। डैडी को भी इतना अपमान महसूस हुआ कि उन्हें आज तक ये बाद याद है। और उसके बाद चाहे उन्होंने कितनी ही आईस्क्रीम क्यों न खाई हो – क्रीम वाली, चॉकलेट वाली, स्ट्राबेरी वाली, वो उस आईस्क्रीम के बारे में नहीं भूलते जिसका उनसे तब – ऑपरेशन के बाद - वादा किया गया था।

इसके बाद डैडी कम बीमार पड़ने लगे। वो कम छींकते, कम ख़ांसते, उनका गला और कान भी कम दर्द करते।

इस ऑपरेशन का डैडी को बहुत फ़ायदा हुआ। वो समझ गए कि थोड़ा बर्दाश्त करने का फल अच्छा होता है। हालाँकि बाद में कई डॉक्टरों ने उन्हें कई बार इंजेक्शन दिए, चीर-फ़ाड की, मगर उन्होंने फिर कभी किसी को नहीं काटा। वह समझ गए थे कि ये उनके फ़ायदे के लिए ही किया जा रहा है। बस, हर बार ऑपरेशन के बाद आईस्क्रीम वो ख़ुद ही ख़रीद लेते थे। क्योंकि आईस्क्रीम तो डैडी को आज तक पसन्द है।


Rate this content
Log in