हरमायनी और जादुई चिट्ठी
हरमायनी और जादुई चिट्ठी
होगवर्ट्स विद्यालय में छुट्टियां चल रही थी सभी छात्र-छात्राएं अपने अपने घरों पर थे। खासकर मगलू छात्र-छात्राएं अपने घरों पर ही छुट्टियों का आनंद ले रहे थे।
हरमायनी अपनी खिड़की के पास बैठी थी तभी उसने देखा कि एक उल्लू चिट्ठी लेकर उसके लेटर बॉक्स में डाल रहा था। वह समझ गई हो ना हो यह चिट्ठी उसके विद्यालय के किसी दोस्त ने उसके लिए लिखी होगी , चूंकि उन्होंने पूरी छुट्टियों में ऐसा करने का वायदा किया था।
वह जल्दी से दौड़कर अपने लेटर बॉक्स के पास पहुंची और चिट्ठी को लेकर घर के अंदर आ गई ।अब जब उसने चिट्ठी को खोलकर पढ़ना शुरू किया उसकी आंखों के साथ-साथ उसके चेहरे फूलने लगे । वह सोच में पड़ गई कि हो ना हो यह चिट्ठी जादुई है और इसमें जादू कर के उसके पास भेजा गया है।
पर,अब क्या किया जाए ?वह जितने शब्द पढ़ती जाती, उसका शरीर फूलता चला जाता। हरमायनी को पता चल गया था कि अब इसका इलाज उसे खुद ही ढूंढना पड़ेगा ।
उसने अपनी किताबें जादुई किताबों को उलटना शुरू किया उसे पता चला यह चिट्ठी मोहपाश मंत्र से बंधी है जिससे उसकी यह स्थिति हुई है और उसका इलाज भी उसमें लिखा था।
इलाज के लिए बस उसे काढ़ा बनाना था और उसे पीना था। हरमायनी काढ़ा बनाने में उस्ताद थी ही। उसने तुरंत काढ़ा बनाया और उसे पी लिया। काढ़ा पीते ही उसकी स्थिति अच्छी हो गई और इतनी देर में हरमायनी को पता चल गया था कि यह सब ग्रेको मेल्फाय की करतूत है।
उसने भी एक चिट्ठी लिखी और चिट्ठी मोहपाश मंत्र से उसे पर जादू कर दिया और फिर अपने कबूतर के द्वारा मेलफॉय के पास पहुंचा दिया। मेलफॉय फूलकर गुब्बारा बने बिना नहीं रह पाया होगा । यह सोच -सोच कर ही हरमायनी हंसती रहती थी ।
जब होगवार्ट्स खुला और सभी छात्र-छात्राएं स्कूल में आ गए तो हरमायनी की नजर मेलफॉय से अचानक से टकरा गई। हरमायनी विजयी मुस्कान देखकर उसके पास से गुजर गई।