होली
होली
पुराने कपड़े पहनकर राजू होली खेलने के लिए घर से बाहर निकला ही था कि बाहर खड़े सभी बच्चे हँसने लगे।उन बच्चों की बात तो छोड़िए वहाँ खड़े उन बच्चों के माता-पिता भी हँस पड़े।हँसने की वजह थी राजू का फटा पुराना कपड़ा।ऐसी बात नहीं थी कि उसने प्रथम दिन ही पुराना कपड़ा पहना था हँसी की वजह थी कि आज इस विशेष दिन भी वह वही पुराना फटा कपड़ा पहनकर होली खेलने आया था।पर किसी ने उसकी मजबूरी और लाचारी समझने की कोशिश नहीं की।मदद करने और अपने हिस्से की कुछ ख़ुशियाँ राजू जैसे निर्धन बच्चे को देने की बजाय उस पर हँसना।शायद यह इंसानियत नहीं।रामू एक पल के लिए मायूस हो गया।"हँसने की बजाय काश! आपलोगों में से कोई भी कभी भी किसी की मदद करते तो सचमुच आप सभी आदर्श इंसान कहलाते पर आप सभी को तो किसी की लाचारी पर हँसना आता है बस।"राजू ने मायूस होकर इस बात को जैसे ही कहा कि वहाँ खड़े सभी लोग सन्न रह गए।उन सबों को अपनी गलती का एहसास हो गया था।राजू का हाथ पकड़कर वहाँ खड़े एक व्यक्ति ने अपने घर पर लाया और एक नया कपड़ा उसे दिया और साथ में ढ़ेर सारे स्वादिष्ट व्यंजन ही खिलाए।
