STORYMIRROR

हमन है इश्क़ मस्ताना

हमन है इश्क़ मस्ताना

2 mins
28.9K


प्यार कभी भी, किसी को भी, किसी से हो सकता है.प्यार को प्यार की तरह जिया जाए तो इससे ख़ूबसूरत कोई शय दुनिया में नहीं. दरअसल इन्सान का जन्म प्यार करने के लिए हुआ है लेकिन प्यार करना भूलकर बाक़ी सब करने लगा. चालाकी से, धोखे से, झूठ बोल, छल-प्रपंच से किसी को फाँसना.....

बस किसी तरह हासिल कर लेना और जब मन भर जाए किसी और की तलाश जारी... न जाने कितने झूठ... एक झूठ को छुपाने के लिए कई और झूठ... कितना कुछ याद रखना पड़ता है... इस एक झूठ के चक्कर में...प्यार दिल का मुआमला है. इसमें दिमाग़ का इस्तेमाल बिल्कुल वर्जित है...
हद तो तब देखा जब एक दर्ज़न रिश्ते बनाने वाले/वाली ज़्यादा रोना रोते पाए जाते हैं कि अकेला/अकेली हूँ...

प्यार नहीं मिला... किसी ने समझा नहीं...
अकेले इसलिए हो कि किसी के साथ नहीं हो.... किसी को समझने की कोशिश नहीं की...झुप्प्म-झुपायी वाला प्यार बहुत हो रहा है...औरत अपने पति बच्चों से झूठ बोल रही है...
पति अपनी पत्नी और बच्चों से झूठ बोल रहा... सहुलियत वाला प्यार... तू सबसे छुपा... मैं दुनिया से छुपाता हूँ...
एक कहानी/कविता छपती है...

फिल्में/वीडियो बनाते हैं तो कूद-कूद कर बताते हैं...

पढो-पढों... देखो-देखो... अपनी राय दो... 
प्यार क्यों छुपाते हो? क्योंकि मन में चोर है? ख़ुद आश्वस्त नहीं हो? पता है कि ग़लत कर रहे हो? 

भगवती चरण वर्मा या आचार्य जानकी बल्लभ शास्त्री के उपन्यास में पढ़ा था - 
पाप क्या है? 
"जो छुपाकर किया जाए पाप है"
जो एक के साथ ईमानदार नहीं वो किसी के भी भरोसे के लायक नहीं.
'प्यार करना और जीना उन्हें कभी न आएगा
जिन्होंने ज़िन्दगी को बनिया बना दिया" - पाश
कबीर की तरह प्यार करो-

"हमन है इश्क़ मस्ताना. हमन को होशियारी क्या?"


Rate this content
Log in