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एक औरत

एक औरत

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एक औरत जिसका पति इमर्जेंसी में जेल चला गया। उसपर चार बच्चों की ज़िम्मेदारी आ गई। तो उसने सिलाई बुनाई का काम शुरू किया। पति का सिनेमा हॉल और ईंटें का भट्ठा था। पर लेकिन सौतेली सास के बहकावे में आकर ससुर ने उस हर हक से बेदखल कर दिया। दिन रात लालटेन की रोशनी में दूसरों के कपड़े सिलती और स्वेटर बुनती।

उन कपड़ों से जो कतरनें बचती उसे जोड़ जोड़ अपनों बच्चों के लिए कपड़े तैयार करती।

घर से बाहर निकलते वक्त बच्चों को सिखाती कि लोग पूछे कि क्या खाया तो कहना - रोटी, सब्जी, दाल-भात, दूध-खीर आदि...

बच्चे पूछते - 'मां, हम झूठ क्यों बोलें, हमने तो नमक रोटी प्याज खाया।'

वह कहती - 'बेटा, पेट में क्या है कोई नहीं देखता। तन पर क्या है सब देखते

हैं। इसलिए कहीं भी निकलो तो साफ सुधरे और अच्छे कपड़े पहनकर निकलो।'

आज जब लोग मुझे कहते हैं कि आपका 'ड्रेसिंग सेंस' बहुत अच्छा है वो इसलिए कि मेरी मां कतरनों से नये फ्रॉक ऐसे सिल देती थी जैसे वो रेडीमेड हो।

पिछले दो तीन दिनों में तीन अलग अलग लोगों ने पूछा कि 8 मार्च ( अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस) पर सम्मानित करने योग्य महिला का नाम बतायें। मेरी नजर में दुनिया के हर सम्मान की हकदार है मेरी मां है इसलिए नहीं कि मेरी मां है इसलिए कि उसने मेरे पिता के रहते हुए अकेले हम चार भाई बहन को पाला और सर उठा कर जीना सिखाया।

मां, आज मैं तुम्हें 'मदर अर्थ' और 'मदर इंडिया' का सम्मान देती हूं और हर बार तुम्हारे गर्भ से तुम्हारी बेटी बनकर जन्म लेना चाहती हूं।


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