हीरे की परख
हीरे की परख


राजू एक बुद्धिमान और नटखट लड़का था। वह हर साल पढ़ाई में अच्छे नंबरों से पास होता था। अव्वल तो नहीं आता पर खराब नंबर भी नहीं आते। वह एक ग़रीब घर से ताल्लुक रखता था। उसके पिता रोड पर मूंगफली की रेडी लगाते थे। घर के हालात बहुत ही खराब थे। अपने घर की स्थिति को संभालने के लिए, उसे भी कुछ ना कुछ काम करना पड़ता था। वह काम करने के साथ- साथ कभी-कभी शरारत भी किया करता। उसके अंदर एक खास बात यह थी कि वह बहुत अच्छा निशानेबाज था। वह अपनी गुलेल से बहुत सटीक निशाना लगाया करता था।
अमराई के समय वह अपने मित्रों का हीरो हुआ करता था। वह गुलेल से निशाना लगाकर ढेर सारे आम तोड़ लाता, और उसे पिताजी के रेडी में बेचने के लिए रख देता। एक बार वह निशाना लगाने की प्रैक्टिस कर रहा था। स्कूल के पीटी टीचर की नजर उस पर पड़ी। उन्होंने उसके निशाने बाजी देखी। वह मन ही मन बड़े खुश हुए। पीटी टीचर कभी स्टेट लेवल के तीरंदाजी के चैंपियन रह चुके थे। उन्हें राजू के अंदर अपनी छवि नजर आ रही थी। वह स्कूल पहुंचे, आज राजू को देखकर वे खुश थे। वे राजू के पास गए उन्होंने राजू से कहा," राजू तुम्हारा निशाना तो बहुत ज़ोरदार है, अब तुम गुलेल के बजाय तीर कमान से प्रैक्टिस किया करो। मैं तुम्हें मेरा तीर कमान लाकर दूंगा।" राजू बड़ा खुश हुआ। वह अब तीर कमान का इंतजार करने लगा। आज वह घर पहुंचा, उसकी नज़रों के सामने बस वही तीर कमान ही घूम रहे थे।
उसे ऐसी लगा जैसे टीचर ने उसकी दुखती रग को पकड़ लिया था। वह स्वयं भी एक निशानेबाज बनना चाहता था। उस रात उसे नींद भी नहीं आ रही थी। वह बार-बार उठ कर बाहर देखता, वह सुबह होने का इंतजार कर रहा था।
सुबह उसकी मां ने उसे जगाया। नहाने के बाद, उसे रात की एक रोटी बची थी, वह खाने को दिया और उसे तैयार करके स्कूल भेज दिया। वह स्कूल पहुंचा स्कूल में उसे टीचर का इंतजार था। सभी अपनी अपनी क्लास लेकर जा चुके थे। स्कूल छूटने का समय हो चला था। घंटी बज गई, स्कूल की छुट्टी हो गई। सभी अपना - अपना दफ्तर उठाकर घर की तरफ चल पड़े। राजू भी अपना दफ्तर उठाकर क्लास से बाहर आया, वह घर की तरफ निकल पड़ा। तभी उसे पीटी टीचर की आवाज सुनाई दी। उन्होंने राजू को आवाज़ लगाई, और टीचर रूम में बुलाया। राजू के अंदर एक जोश आ गया वह दौड़ कर रूम में गया। वहां टीचर ने उसे बिठाया और बताया राजू तुम्हें पता है, मैं भी अपने समय में स्टेट लेवल का चैंपियन रह चुका हूं। मैं अपने देश के लिए खेलना चाहता था, और अपने देश के लिए गोल्ड मेडल लाने की मेरी एक इच्छा थी। जिम्मेदारियों के बोझ के कारण मेरा सपना अधूरा रह गया है। अब वही सपना मैं तुम्हारे अंदर देखना चाहता हूं । मैं तुम्हारी पूरी मदद करूँगा, और तुम्हें उस लेवल तक ले जाऊँगा। उसके लिए तुम्हें नियमित अभ्यास करना पड़ेगा। यदि तुम इसके लिए तैयार हो तो....।
राजू ने अपनी सहमति जताते हुए कहा, " सर मैं भी काफी समय से सोच रहा था कि मुझे इस तरह खेल प्रतियोगिता में भाग लेना चाहिए। आज आपने मेरे मन की बात कही है। मैं पूरी तरह से अभ्यास करूँगा, पर यह अभ्यास में शाम के समय ही कर सकता हूं , क्योंकि दिन में मुझे काम करना होता है।" उसके टीचर उससे बहुत खुश हुए। उन्होंने एक पैकेट रेप करके लाया था, जो उन्होंने राजू को दे दिया और कहा, "इसमें तीर कमान है। यह ले जाओ, मैं तुम्हें शाम को सिखाने आ जाऊंगा।"
दिन भर राजू अपने काम में लगा रहा। उसका ध्यान शाम को टीचर के द्वारा सिखाई जाने वाले तीर कमान में ही था। शाम होते ही वह नदी किनारे तीर कमान लेकर पहुंच गया। वहां टीचर उसका इंतजार कर रहे थे। राजू ने थोड़ी देर से आने की माफ़ी मांगी। टीचर ने "कोई बात नहीं" कह कर तीर कमान निकालना शुरू किया।
टीचर ने उसे सिखाने की शुरुआत की है किस तरह कमान पकड़ना है ? किस तरह तीर कमान में लगाकर खींचना है ? सारी जानकारी राजू को दिया। राजू सब फटाफट सीख रहा था। वह टीचर की सारी बातें समझ जाता टीचर भी उसकी सीखने की तेज गति से काफी प्रभावित हुए। राजू कुछ ही दिनों में पूरी तरह से तीर चलाना सीख गया। अब उसे निशाना परफेक्ट लगाने का अभ्यास करना था। वह भी उसने बहुत जल्द कर लिया वह कुछ ही महीनों में एक सटीक निशानेबाज बन गया।
थोड़े समय बाद ही टीचर ने उसे स्टेट लेवल खेलने के लिए ले गए। वहां उसने अपना जलवा दिखा दिया उसे 10 शाट करना था। उसने 10 के दसों तीर एकदम सही निशाने पर लगाकर स्टेट लेवल जीत चुका था उसके टीचर उससे बहुत खुश हो गए उन्होंने उसे गले लगा लिया क्योंकि राजू के साथ-साथ टीचर का भी नाम ऊंचा हो गया।टीचर ने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा यह खेल यहीं पर समाप्त नहीं होता है अब हमें ओलंपिक गेम में स्वर्ण पदक की तैयारी करना है और उसे जीत कर भारत का गौरव बढ़ाना है।जिसके लिए राजू भी पूरी तरह से तैयारी करने लगा वह रात में घंटों वजनदार पत्थर पकड़ कर हाथ सीधा किए रहता था कि हाथ कमान पकड़ते वक्त कमजोर ना पड़ जाए। उसे टीचर ने महाभारत में अर्जुन की कहानी बताइए किस तरह व रात के अंधेरे में अभ्यास किया करता था। अब राजू भी रात में अभ्यास करने लगा।
देखते देखते वह दिन आ गया वह टीचर की मदद से ओलंपिक खेलने पहुंचा वहां कई देशों के साथ उसकी प्रतियोगिता होनी थी वह बिना जिझक निसंकोच सारी प्रतियोगिता को सफल कर भारत के लिए तीन स्वर्ण पदक प्राप्त किए चारों ओर उसका नाम गूंज उठा। उसके टीचर दौड़ कर उसे अपने कंधे पर उठा लिया राजू ने भारत का ध्वज लहरा दिया टीचर को आज लगा उन्होंने यह जीत हासिल की है वे राजू से बहुत ज्यादा खुश हो गए वे लौटकर भारत अपने गांव आए वहां उनके स्कूल में प्रिंसिपल साहब ने बड़ी तारीफ की। राजू के माता-पिता भी खुशी से फूले नहीं समाये। वे भी राजू की जीत पर बेहद खुश हुए। उनका सीना गर्व से फूल गया। स्कूल में समारोह रखा गया इस समारोह में प्रिंसिपल ने सभी के सामने कहा " हीरे की परख एक सच्चा जौहरी ही कर सकता है, जिस प्रकार टीचर ने राजू के अंदर की काबिलियत को पहचान कर उसे उसकी राह तक ले गए यह काबिले तारीफ है।" उन्होंने टीचर का तथा राजू का सम्मान पुष्पगुच्छ देकर किया ।