anuradha nazeer

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गरीब

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मेरी मां और पिता लंबे समय से काशी तीर्थयात्रा पर जाना चाहते थे। वो हमेशा इस बारे में पूछ ताछ करते रहते थे।कब हम काशी जा रहे हैं ? पैसे तो जमा हो गया , छुट्टी का भी इन्तिज़ाम कर चुका हूं , इस महीने निकलेंगी ,फिर क्या करें। तभी गीता के पिता ने मेरे घर आए।उन्होंने मेरी मां और पिता को बताया कि बहुत दिनों से गीता की शादी के लिए बहुत लोग आते जाते रहते हैं।लेकिन कोई मुफ्त में गीता से शादी करने के कोई लिए तैयार नहीं है ,क्या करें? मेरी तो अगले साल ही सेवनिवृती हो रही है।मैं तो सारा ऋण ले चुका हूँ।अभी क्या करूं ? कमसे कम जेवर तो देने ही हैं ।कोई दया नहीं करता।जो भी आते हैं पूछते हैं आप कितना जेवर देंगे ? गीता के पिता ने कहा कि उन्हें डर है कि गीता बिना शादी किए बूढ़ी हो जाएगी।


यह मेरे लिए एक झटका की तरह था जब मैंने यह भयानक बात सुनी।मैंने सोच लिया गीता के शादी पहले होगी ,बाद में हम सब मिलकर काशी जाएंगे।


मैंने अपने पिता और मां से कहा कि "हम शादी में मदद करेंगे। अगर गरीब लड़की की मदद की जाय तो बेहतर होगा।" पिता जी ने कहा कि "भगवान तो ठहर सकता है।लेकिन लड़के वाले क्या चुप रहेंगे क्या ? हम अगले काशी जाएंगे।भगवान दयालू है।" मैं बहुत खुश था कि मेरे माता-पिता सहमत थे।

उन्होंने कहा कि भगवान कुछ नहीं कहेंगे और वह इसे बर्दाश्त करेंगे।मेरा मन शांति से था।गरीब की मदद करने वालों की भगवान भी मदद करेगा।गरीब की मदद भगवान की सेवा जैसी है ।



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