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rekha shishodia tomar

Children Stories

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rekha shishodia tomar

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गेट का लॉक

गेट का लॉक

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"अरे रात आते समय बाहर का लॉक क्यों नहीं लगाया तूने?"

"भूल गया था.."

"काम की बातें याद नहींरहती तुझे,फालतू चीज़ों मेंं लगा रहता है..हर समय लेपटॉप मेंं घुसा रहेगा तो दिमाग कहाँ से काम करेगा।"


"क्या है पापा??, मैं काम करता हूं लैपटॉप पर..वर्क फ्रॉम होम..जब तक पढ़ाई कम्पलीट होगी तब तक जेबखर्च के लिए.."

"हाँ हाँ ठीक है,ये आजकल भी ना जाने क्या क्या तरीके है पैसे कमाने के?"

"वो आटा पिसवाने को बोला था"

"कल"

"तो कल तक बिना रोटी के रहेंगें तीन दिन हो गए कहते कहते"

"आप पिसवा लेते"

"हम्म सब काम मैं ही करवा लूँ..बिल भी मैं जमा करुं..राशन भी मैं लेकर आऊं..सब्जी भी मैं लेकर आऊं"?..

"तो क्या हो गया"?

"हाँ बेटा कुछ नहींहुआ..तुमसे तो कुछ उम्मीद ही बेकार है..एक मैं था साईकल पर सारा घर का काम निबटाता था..साथ मेंं पढ़ाई भी की और जॉब भी"

"प्लीज् पापा फिर से नहीं"

"जब बाहर जा रहे हो तो अंदर की लाइट पंखा तो बन्द करके निकला करो.."

"कर दूंगा"

"कब बाहर जाकर दोबारा आएगा"?

"पापा हर समय क्यों मेंरे पीछे पड़े रहते हो?"

"कुछ फायदा तो दिखता नहीं पीछे पड़ने का"

"क्या फायदा चाहिए आपको"?

"यही की थोड़े जिम्मेदार बनो..मैं जिंदगी भर सब काम नहीं कर सकता...उम्र बढ़ रही है मेंरी"

"कर लूंगा टाइम आएगा जब"

"और वो टाइम कब आएगा??"

"जब आप करने लायक नहीं रहोगे"

"नालायक निकल..भाड़ मेंं जा..तुझे समझाना भैंस के आगे बीन बजाना है"।

"आज से घर मेंं घुसो तो लॉक लगाकर घुसना..समझे कल को कुछ ऊंच नीच हुआ तो..."

"कुछ नहीं होगा..यहाँ कोई चोर ना घुसेगा छोटे से घर में"


वर्तमान समय में...


"हेलो पीयूष..बेटा राशन खत्म है..आज शाम को ले आना..बिल जमा कर देना..सब्जी रामकिशोर से मंगवा ली है महंगी देकर गया है पर मजबूरी थी"।

"ले आऊंगा,बिल तो ऑनलाइन जमा कर दूंगा..माँ..पापा कैसे हैं"?

"ठीक है पहले से ,,अभी सोए हुए हैं।"


दोनो तरफ चुप्पी

"इतना मत सोच पीयूष..सुबह तो मिल कर गया है पापा से ,इतनी चिंता क्यों?शाम को तो मिल ही लेगा।"

"उस दिन भी तो सुबह मिलकर ही निकला था माँ...मिलकर क्या झगड़कर निकला था..वही झगड़ा रात को आकर लॉक क्यों नहीं लगाया.."

"तुम्हे पता है ना माँ..मैं जानबूझकर नहीं करता था ऐसा बस पापा के लाड़ प्यार और देखभाल मेंं रखने से लापरवाह हो गया था..."

"पर उस रात मैंने जानबूझकर गुस्से मेंं लॉक नहीं लगाया था..मुझे नहीं पता था उसी दिन ये सब हो जाएगा"

"ज्यादा मत सोच बेटा.. किसी को क्या पता था उसी दिन बदमाश घुस आएंगे"।

"नहीं पता था,पर गेट बिल्कुल खुला छोड़ना भी बेवक़ूफ़ी थी मेरी"।

"अब जो हुआ सो हुआ..डॉक्टर ने कहा तो है कुछ टाइम मेंं फ्रैक्चर ठीक हो जाएगा..बस उसके बाद फिजियोथेरेपी से सब नॉर्मल हो जाएगा।"


शाम के समय...

"पापा ये लो आपके लिए जूस लाया हूं,और ये ड्राई फ्रूट भी.. ताकत आएगी शरीर में"

"माँ ये राशन लो..बिल जमा हो गया है"

"राशन कहाँ से लिया?"

"गोयल स्टोर से"।

"शर्मा जी स्टोर से लेना था..गोयल वाला तो लुटेरा है"।

"अगली बार ले आऊंगा"

"बिल"??

"ऑनलाइन"

"रिस्क नहीं है उसमेंं"

"नही"

"तुझे कुछ पता भी है ??"

"हाँ पापा, सब जांच पड़ताल कर किया है"

"जा आराम कर ले..थका है सुबह से"

"जी जा रहा हूं..पापा...सॉरी"

"कोई बात नहभूल जा और सो जा"

"जी"

"सुन,लॉक लगा दिया..."

"क्या पापा, आप भी"

"जब तक जिंदा हूं..रोज टोकूँगा"

"और मैं रोज़ ईश्वर से प्राथर्ना करूँगा ,आप जिंदगी भर टोकते रहो।"

इतना कह पुत्र पिता के गले लग फूट फूट कर रो दिया।

"पापा, मैं बहुत डर गया था उस रात..एक पल मेंं दिल किरचों मेंं बिखर गया था जब आपको खून से लथपथ तड़पते और चीखते हुए देखा"।

"अरे उन्हीं चीखों ने तो मोहल्ला इकट्ठा कर लिया वरना वो क्या भागने वाले थे.. शुक्र है तेरी माँ घर पर नहीं थी।"

"और मैं नालायक कानो मेंं ईयरफोन लगाए ऊपर अपने में मगन था"

"अरे तो तुझे क्या पता था क्या होने वाला है"??

"पापा उस दिन आपको कुछ हो जाता..तो जिंदगी भर पछतावे के सिवा कुछ ना बचता मेंरे पास"।

"चल ईश्वर जो करता है अच्छा करता है..तेरे मुंह से तेरी दिल में छुपी भावनाएं तो सुन पाया मैं"

"I love you पापा!!"

"मैं भी बेटा"

"हाँ भाई मैं तो इस घर में हूँ ही नही.."

"नहीं माँ, तुम्हारे बिना तो हम दोनों अधूरे हैं"

"श्रीमती जी तुम्हीं तो कड़ी हो हम दोनों के बीच की"।

"चलो चलो खाना खाओ दोनो"

"ड्राइंग रूम मेंं पंखे लाइट बन्द करके आना बरखुरदार"।

"जी पिताश्री"और पूरा घर खिलखिलाती हंसी से गुलजार हो गया।


"



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