दिल की नज्मे
दिल की नज्मे
न जाने क्यूं उन्हें आज मेरी इबादत पर कुछ शक सा है,
जिन्हें पहले मेरी वफ़ा पे नाज़ हुआ करता था...
उनकी एक हंसी से मिट जाती थी दिल की तनहाइयाँ,
पर आज मेरी तन्हाईयों को उनके आंसू भी नसीब नहीं...
कभी जिनके तसव्वुर में सिर्फ मेरा ही ख्याल रहता था,
न जाने क्यूं वो आजकल गैरों मे मेरी परछाई ढूंढते हैं...
जिन्होंने मेरा हर लम्हा रंग दिया था अपने प्यार के रंगों से,
न जाने क्यूं वो आजकल मुझे अंधेरे से दिल लगाने की जिद करते है....
न जाने क्यूं उनके जुबां से मेरे लिए "बेवफा" का लफ्ज़ निकल गया,
तबसे मेरी जिंदगी भी मुझसे बेवफाई करने लगी है..
तुम्हारे तसव्वुर के बिना दिल को राहत नही मिलती,
क्या करे इस दिल को, इसे तुम्हारे सिवा किसी की चाहत नही जंचती..
दिल की तड़प तो इस कदर मचलती है,
के तेरे होठों के सिवा इसे रुख्सत नही मिलती...
