ड्यूक
ड्यूक
सारा घर उसका दिवाना था। गेंद की तरह वह घर में फुदकता रहता था। एक महीने का था जब मेरा बेटा उसे लेकर आया था। बेटा अपने हर जन्मदिन पर जिद्द करता था, " माँ बस एक डॉग ले दो।" मैं हर बार उसे नकार देती थी। इस बार तो हद हो गई जब वो छोटा सा गोल्डन रिटरिवर ले आया। मैं चिल्लायी,
"इतना छोटा ....बिन माँ के कैसे रह पायेगा ? "गुस्सा तो आया पर उसकी सुन्दरता देख मैं पिछली सब बात भूल गई। इससे पहले कभी किसी पैट को नहीं रखा था। हमने उसके स्वागत में केक काटा व नाम रखा डयूक। प्रयास यही कि उसे माँ की कमी महसूस न हो।
उस दिन से डयूक हम सब की आँखों का तारा बन गया। साफ -सुथरा, गोल्डन वाइहट कलर। जो उससे एक बार मिलता दौबारा मिलने जरूर आता। डयूक प्योर वेजिटेरियन, वही सब खाता जो हम खाते थे। खाना चाहे जितनी बार खिला दो, कभी न नहीं। हमें कुछ सिखाना नहीं पड़ा, हर चीज इंसानों की तरह सीखता गया।
अचानक मेरा ट्राँँसफर मंबई हो गया। मुझे व छोटे बेटे को जाना पड़ा। अब डयूक बड़े बेटे के साथ घर में अकेला। हम उसे बहुत मिस करते, हर रोज हर बात में उसका जिक्र होता। हमारी वापसी तीन महीने बाद हुई। डयूक हमें लेने एयरपोर्ट आया।बेटे के साथ अगली सीट पर इंसानों की तरह बैठा था पर हमें देख इस बार न वह भौंका न उसने चाटा।
खैर घर आ गए लेकिन वह फिर भी चुप। दो दिन बीत गए उसने कुछ नहीं खाया, बस चुपचाप मेरे या बेटे के आसपास घूमता रहता। रात में भी हम दोनों के कमरे के चक्कर लगा कर दरवाजे के बीच में बैठता ताकि हम दोनों पर नजर रख सके।
तब मुसे समझ आया कि हमारे जाने के कारण वो हम से नाराज है। मैं बिस्तर से उठकर उसके पास बैठ गई और उसको सहलाते हुई खूब रोई। वह भी गोदी में सिर रख चुपचाप मेरे प्यार को सहेजता रहा। मैंने कहा,डयूक अब हम नहीं जाएँगें, जाना भी पड़ा तो तुम्हें लेकर जाएँगें। मेरी बात सुनते ही डयूक के कान खड़े हो गए, मानो सब समझ आ गया। वह एकदम उठा और बेटे के बैड पर कूदा और मुझे देखने लगा।
उसकी आँखों की चमक लौट आई। मैं हैरान ये मूक प्राणी सब जानता व पहचानता है। उसने मुझे अपने प्यार का एहसास दिला दिया। मेरी ममता उसके लिए उसका प्यार हमारे लिए ....शायद इंसानों से भी बढ़कर।
सुबह उठे तो सब नोरमल, डयूक घर की रौनक, यहाँ वहाँ कूद रहा था । सब हैरान ये रातों रात कैसा चमत्कार। डॉक्टर को दिखाने का आइडिया कैंसल और खाने पीने का दौर शुरु।
आज मैं महसूस कर रही थी कि मेरे दो नहीं तीन बेटे हैं। डयूक का प्यार मेरे लिए मातृत्व का सबसे बड़ा सम्मान था .....