Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!
Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!

कुमार जितेन्द्र सिंह

Children Stories

4.0  

कुमार जितेन्द्र सिंह

Children Stories

चतुर सिंह

चतुर सिंह

2 mins
270


परिमल नाम का एक बहादुर राजा था। राजा के बहादुरी के किस्से पड़ोस के राज्यों में भी मशहूर थे। राज-काज से जब छुट्टी मिलती तो राजा परिमल घनघोर जंगलों में शिकार के लिए जाता था। अक्सर पूनम की रात शिकार की योजना बनाई जाती थी। खूंखार जंगली जानवरों के शिकार के लिए, नदी , झरने आदि पानी के स्रोतों के नजदीक के पेड़ों पर मचान बनाए जाते थे। राजा उसी मचान पर बैठकर रात में इंतज़ार करता और जैसे हीं कोई जंगली पशु पानी पीने आता तो राजा के वाण उसके प्राण पखेरू ले उड़ते।

एक बार शिकार पर राजा परिमल ने एक बाघिन के ऊपर वाण चलाये। राजा के अचूक वाण सीधे उसके पेट में लगे और प्राण ले उड़े। रात का तीसरा पहर बीत रहा था। चारों तरफ अंधेरे छाया था। अंधेरे में किसी आदमखोर के हमले का डर था। लिहाजा राजा ने साफ होने तक मचान पर रहना मुनासिब समझा। इंतज़ार करते –करते राजा की आँख लग गयी। सूरज की किरणें पड़ते राजा की आँख खुली। झट मचान से उतर शिकार की ओर भागा। उसने देखा ,बाघिन मरी पड़ी थी और उसके दो नवजात शिशु लिपटकर आँसू बहा रहे थे। राजा बहुत दुःखी हुआ और उस दिन से शिकार करना छोड़ दिया।

 राजा परिमल काफ़ी उदास रहने लगा। राज-काज में उसका मन नहीं लगता था। राजा की उदासी दूर करने लिए संगीत समारोह का आयोजन रखा गया , जिसमे विजेता को मनमाफ़िक पुरस्कार की घोषणा हुई। कई राज्यों से माहिर संगीतज्ञ पधारे। राज दरबार सज गया। बारी–बारी से सबने अपना संगीत प्रस्तुत किया। राजा को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि एक कलाकार ,छोटे के बांस के वाद्य यंत्र के साथ, हर प्रस्तुति में शामिल है। राजा को लगा कि वही कलाकार सर्वश्रेष्ट है। समारोह समाप्ति के उपरांत, उस कलाकार को बुलाया गया।

राजा ने पूछा ,” कलाकार तुम्हारा नाम क्या है और कहाँ से आए हो ?”

उसने हाथ जोड़कर जवाब दिया

“चतुर सिंह ,मेरा नाम है महाराज। मैं आपके राज्य का हीं निवासी हूँ।“

“तुमने हर प्रस्तुति में अपना योगदान दिया है। इसलिए इनाम के हकदार हो “

राजा परिमल ने उत्साहित होकर कहा ,  “अपना बाजा बजाकर कुछ अपना सुनाओ।“

चतुर सिंह नतमस्तक हो गया– “हुजूर ! गुस्ताखी माफ हो। यह शामिलबाजा है। इसकी ध्वनि बाकी वाद्ययंत्रों से मिलकर निखरती है। अकेले बजाने में आवाज़ समझ नहीं आती।

चतुर सिंह की चतुराई समझ में आ गयी। राजा ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगा। पूरा राज दरबार ठहाकों से गूंज उठा।

राजा ने चतुर सिंह से पूछा – “बोलो, क्या इनाम चाहिए ?”

“आपकी कृपा हुजूर “ – चतुर सिंह सिर झुकाकर बोला।

राजा ने उसे ढेर सारा धन दिया और अपना दरबारी बना लिया।  


Rate this content
Log in