बीज
बीज


दादी, दादू ने मुझे माला... नन्ही पलक पाँव पटक-पटक कर दादी को कह रही थी।
अच्छा दिखाओ तो कहाँ माला...दादू ने हमाली पलक को तुतलाने का आनंद लेते हुए दादी ने कहा।
आप मालो ...ना दादू को पहल ने रोते हुए कहा।
अरे यार अब झूठ- मूठ मुझे मारो और इसे चुप करवाओ। दरअसल ये मेरा मोबाइल छेड़ रही थी तो मैनें इसे आँख दिखाई और ये तो शुरू हो गई।
हाँ ...हाँ....समझ गई। दादी ने पलक को गोद में ले लिया और पुचकारते हुए बोली- देखो बेटा अगर हम दादू को मारेंगे तो उन्हें चोट लग जाएगी, खून आ जाएगा, हमें डॉक्टर के जाना पड़ेगा फिर पलक को प्यारी कौन करेगा, अब से आप मोबाइल नहीं छेड़ना तो दादू आपको नहीं डांटेंगे....ठीक है पलक बेटा....। जाओ अब दादू को प्यारी करो, दादी ने पलक को गोद से नीचे उतार दिया।
ठीक है दादू....अब हम मोबाइल नहीं थेङ़ेंगे...पक्का... आप हमें प्यारी करोगे... कहते हुए पलक ने दादू के गले गलबहियाँ डाल दी।
बिल्कुल ....आपको और आपकी दादी को भी प्यार करेंगे....जो हिंसा के स्थान पर प्रेम के बीज बोना जानती ।