भारतीय संस्कृति
भारतीय संस्कृति
भारतीय संस्कृति एक अमूल्य धरोहर...
भारत मेरी जन्मभूमि मेरे लिए मां तुल्य पूजनीय है। विविध संस्कृतियों, विविध धर्मों को स्वयं में समेटे हुए भारतीय संस्कृति अनेकता में एकता का प्रतीक है।
हिन्दू, सिख, जैन, मुस्लिम, ईसाई आदि कई धर्मों का पालन अपनी -अपनी परम्पराओं से करते हुए भी हम सब हिन्दू है हिदुस्तानी है।
भारतीय संस्कृति हमें हर धर्म का सम्मान करना सिखाती है।
रंगों का त्यौहार होली हर रंग में घुलमिल जाने का त्यौहार है।
दीपावली का त्यौहार प्रकाश उत्सव यानि जीवन के अन्धकार को दूर करना, अन्धकार जो मनुष्य मन के भीतर अज्ञान का अन्धकार है उसे दूर करके सब और ज्ञान का प्रकाश फैलाने का त्यौहार है।
हम भारतीय जितने उल्लास से होली, दीवाली मनाते है उतना ही उत्साह, अन्य धर्मों के त्यौहारों के मौके पर भी दिखाते है, क्योंकि हम भारतीय परस्पर प्रेम और अपनत्व की खेती करते है, भेदभाव, छल - कपट से हम कोसों दूर रहते है।
हम भारतीयों के लिए हर दिन उत्सव है। हां आधुनिक समाज को संदेशा है जितना मर्जी आप पाश्चात्य संस्कृति को अपनाओ परंतु अपना भला, बुरा देखकर अपनी भारतीय संस्कृति और सभ्यता को कभी मत भूलना। अपनी भारतीय संस्कृति जो तुम्हारी जननी है उसे कभी अपमानित मत होने देना।
क्योंकि अगर तुम अपने नहीं तो किसी और के क्या होगे।
भारतीय संस्कृति हमें प्रकृति में परमात्मा के दर्शन करवाती है, हमारे यहां वृक्षों को देवता मानते है, पूजनीय तुलसी का पौधा जिसके बिना परमात्मा का भोग अधूरा माना जाता है। गंगा का जल अमृत और यह सिर्फ नदी नहीं गंगा माता कहलाती है।
मेरी भारतीय संस्कृति के विशेषताओं के भंडार असीमित है।
भारतीय संस्कृति जीवन जीने की कला सिखाती है...