बचपन की गहरी याद
बचपन की गहरी याद
आज भी यादें गहरी है बचपन की ।जब मिट्टी के बीच पेड़ो के पास खेला करते थे । वो यमुना का किनारा और रेत का एकदूसरे पर फेंकना रेत का घर बनाना ।पेड़ पर झूला झूलना तो कभी एकदूसरे को पकड़ना ।कभी कभी सुबह की पहली किरण के साथ संध्या की लालिमा तक। ऐसा है बचपन का आनंद। कोई परवाह चिंता नहीं बस निर्विचार ।आज भी याद कर बचपन मे लौट जाने का जी करता है ।पर आज दुनिया बदल गई है।डिजिटल दुनिया के बीच अपने बच्चों में मैं अपनी पुरानी याद और अपनत्व प्यार को हमेशा साझा करती हूँ।
