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Dr vandna Sharma

Children Stories

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Dr vandna Sharma

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अटूट दोस्ती

अटूट दोस्ती

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स्टोरी ऑफ़ माय लाइफ लिखना तो बहुत कठिन है। ज़िंदगी के इतने रंग एक साथ एक कहानी में कैसे समा सकते हैं ?

पूरी आत्मकथा लिखूँ तो एक किताब बन जाएगी। यह कहानी मेरे छोटे भाई विकास और मेरे अटूट रिश्ते की है। बात उन दिनों की है जब मेरा भाई के. जी. में और मैं पहली क्लास में थी।

लंच टाइम में अपने भाई को लंच कराने उसकी क्लास जाती, उसके साथ खेलती। एक दिन बड़ी क्लास का कोई बच्चा मेरे भाई से लड़ रहा था। मैं तुरंत झाँसी रानी की तरह वहाँ पहुँची और अपने भाई बचाया और उस बड़े बच्चे को धमकी दी- यह मेरा भाई है, इसे कुछ मत कहना वर्ना मार मार कर चटनी बना दूँगी।


बड़े भैया मुझसे चार साल बड़े हैं। वो पाँचवी के बाद दूसरे स्कूल में चले गए। हम दोनों रह गए बस महावीर बाल विद्या मंदिर में।

दोनों पैदल खेलते-भागते स्कूल जाते थे। उस समय हम पचास पैसे पाकर भी खुद को बहुत अमीर समझते। एक रुपए में बहुत कुछ मिल जाता था। एक बार क्या हुआ हम दोनों भाई-बहन स्कूल से खेलते -कूदते गलियों के रास्ते वापिस आ रहे थे। मेनरोड पर ट्रैफिक ज़्यादा होता है न। तभी हमें एक गधा दिखाई दिया। विकास ने पूछा- क्या गधे हमारी बातें सुन सकते हैं ?

मैंने हँसते हुए कहा- "नहीं, गधों को सुनाई नहीं देता, सुनाई आता भी होगा तो कौन सी हमारी भाषा समझ आएगी।"

तभी उस गधे ने जोर से हुंकार भरी। ऐसा लगा वो गुस्सा हो गया है और कह रहा हो- बताता हूँ गधे सुनते है या नहीं।


हम दोनों डर गए। हम भागे लेकिन आगे बहुत सारे गधे आते दिखाई दिए। विकास- "लगता है वो गधा अपने दोस्तों को बुला लाया है हमसे बदला लेने के लिए। अब क्या करें ?"

एक तिराहा पड़ा तो उस पर भी तीनों और से गधे ही आ रहे थे। हम दोनों बहुत डर गए और एक घर में जाकर दुबक गए और भगवान जी से प्राथना करने लगे- हे भगवन, इस बार बचा लो फिर कभी नहीं कहेंगे, गधों को सुनाई नहीं देता।

जब सब गधे रास्ते से जा चुके तब हम घर पहुँचे।  गर्मियों की छूटियों में सब सो जाते और हम दोनों जागते रहते, नए नए प्रयोग करते। एक बार दोनों को कुकिंग का भूत चढ़ा। उस समय अखबार में हर सप्ताह रेसिपी आती थी। हम सबके सोने के बाद रेसिपी ट्राय करते और सबसे पहले विकास पर ही प्रयोग होता। अच्छी बनती तो सब खाते वर्ना सब विकास को गिफ्ट।


एक बार आम का पना बनाने की विधि आई। उस समय मिक्सी नहीं थी हमारे घर तो सिल पर ही पीसना पड़ता। विकास ने भरी दोपहरी में आम पीसकर बहुत टेस्टी पना बनाया। 

जब विकास इंटर में था तो हमारे घर इन्वर्टर नहीं था, मोमबत्ती या पेट्रोमैक्स जलाकर पढ़ना पड़ता। मैंने कही पढ़ा यदि मानसिक थकन हो तो कुछ मीठा खाने से बैटरी चार्ज जाएगी और मूड भी फ़्रेश भी हो जायेगा। इसलिए मैं रोज़ विकास के लिए कुछ न कुछ मीठा ज़रूर बनाती और थोड़ी थोड़ी देर में उसे दे आती, कभी कभी तो आटे का हलवा ही बना देती। चाहे जैसा भी बनता मुझसे वो प्यार से खा लेता कभी शिकायत नहीं करता। 


एक बार जून में बुआजी की बेटियाँ आयी हुई थी और चाची के बच्चे भी। विकास को पंडितजी कहकर चिढ़ाते थे क्योकि वो सबको बात-बात पर ज्ञान देता था। यह अच्छा नहीं ,ऐसा नहीं करते ,,,,, उसे खीर भी बहुत पसंद है। उस पर शुद्ध हिंदी में वार्ता। बुआजी कीबेटी सुनीता ने एक आरती बनाई पंडित जी पर उसे गा गाकर हम उसे छेड़ते-

"ओम जय जगदीश हरे, पंडित जी छत पर चढ़े, नीचे खड़ी थी कन्या कुमारी, दोनों नैन लड़े। पीछे से आया कन्या का बापू, डंडे भी बहुत पड़े। ॐ जय जगदीश हरे ,पंडित जी छत से गिरे, १२ हडडी टूटी १४ इंजेक्शन ठुके। ॐ जय जगदीश हरे-------------। 


मेरा भाई ब्लैक बेल्ट कराटे चैंपियन है, अच्छा लेखक है और एयर क्राफ्ट इंजनीयर है। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए नित नए शोध करता है, उसकी उपलब्धियों पर एक स्टोरी लिखी थी मैंने जिसे प्रकाशित कराने के लिए भरी धूप में जून माह में सभी अखबार दफ्तरों के चक्कर काटे मैंने  .. वो मेरा बहुत सम्मान करता है। हम दोनों दोस्त हैं, लड़ते भी हैं रूठते मनाते भी हैं, सारी बातें दूसरे शेयर भी करते हैं। बचपन में जब मेरी चाची, मामी कभी मुझे डांटती तो मैं कहती- विकास है न मेरे साथ तो किस बात का डर। सब मेरा मज़ाक उड़ाते, ससुराल भी लेकर जाना विकास को और संयोग देखे, मेरा भाई मेरी विदाई के समय गया भी मेरे साथ ससुराल। किसी कारण पगफेरा उसी दिन होना था तो विकास साथ गया था मुझे जल्दी ले कर आने के लिए। अब भी समस्या हो तो पहले विकास को ही फोन करती हूँ क्यूँकि मुझे पता है वो हमेशा मेरे साथ है। 


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