अस्तित्व
अस्तित्व
विद्यालय की तरफ से कक्षा छह के बच्चों के लिए चिड़िया घर भ्रमण का कार्यक्रम रखा गया था। सारे बच्चों ने जब से यह सुना, वे खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। अध्यापक ने निर्देश दिए कि सारे बच्चे अपने साथ टिफिन व पानी की बोतल जरुर लाएंग। कोई बाहर का खाना नहीं खाएगा। घर पहुंचते ही बच्चों ने अपने घर में एलान कर दिया कि कल वे चिड़िया घर देखने जाएंगे इसलिए उनके लिए टिफिन में अच्छा सा खाना होना चाहिए। खान सर उनको लेकर जाने वाले हैं। मुकुल तो रात भर ढंग से सो भी नहीं पाया था। वह सपने भी जानवरों के ही देख रहा था। सुबह जब मां ने जगाया तो वह हड़बड़ाता हुआ बोला। " मम्मा, बस निकल गई क्या?" मां ने उसे जगाते हुए कहा। " अभी नहीं निकली पर तुम तैयार हो जाओ।" मुकुल उठते ही बाथरूम में घुसा और जल्दी से नहा-धोकर बाहर निकल गया। उसने पहले कभी चिड़िया घर नहीं देखा था। बस सुना था कि उसमें बहुत सारे जानवर, पक्षी, मछली, सरीसृप आदि रहते हैं। मुकुल की मां उसे समझा रही थी। " देखो लल्ला, टीचर की हर बात मानना। कहीं इधर उधर मत खिसक जाना। कहीं साथियों से बिछड़ गए तो तुम्हें कहां ढूंढते फिरेंगे? इसलिए अपना ध्यान रखना।
मुकुल को मां की बातों में कोई रुचि नहीं थी। वह हूँ, हां कर रहा था पर सारा ध्यान, चिड़िया घर था कि कब बस आए और वह निकले। उसे खिड़की वाली सीट पर ही बैठना था। जैसे ही उसे गाड़ी का हार्न सुनाई दिया वह बैग उठाकर बाहर की तरफ दौड़ पड़ा। उसने देखा उसके बहुत से साथी के चुके थे पर अभी भी खिड़की वाली सीट बहुत थी। इसलिए वह लपकता हुआ खिड़की वाली सीट पर बैठ गया। उसका दोस्त मृदुल उसे बुला रहा था पर वह उसके पास नहीं गया। कुछ आगे जाकर मयंंक उसके साथ बैठ गया। खान सर सारे बच्चों को गिन रहे थे। जब वे निश्चिंत हो गये क सारे बच्चे आ चुके हैं तो उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया।
बच्चे शोर मचाते मस्ती करते अपनी खुशी का इजहार कर रहे थे। कुछ देर के बाद बस चिड़िया घर के पास रुक गई। बच्चे शोर मचाते हुए नीचे उतरे खान सर ने उन्हें पंक्ति बद्ध होने को कहा। सारे बच्चे पंक्ति बद्ध हो। सर ने प्रवेश पत्र लिए और सभी बच्चे अंदर चले गए। खान सर ने उन्हें सख्त हिदायत दी कि कोई बच्चा अपने साथियों से लग नहीं होगा। सब एक साथ रहेंगे। बच्चों ने जब अन्दर का नजारा देख तो शोर किए बिना न रह सके। सामने ही तालाब में रंग बिरंगी, छोटी बड़ी बहुत सारी मछलियां तैर रही थी। उन्हें देखकर बच्चों की किलकारियां निकल रही थी। कुछ बच्चे चिल्ला रहे थे " वो गोल्ड फिश हमारे एक्वेरियम में भी है। बाप रे कितनी बड़ी बड़ी और खूबसूरत है।"
इसी तरह से बच्चों ने पक्षी, शेर, बाघ, भालू, हिरन, और बहुत सारे जानवर देखे। वे हर जीव को बड़े ही कौतूहल से देख रहे थे। खान सर
हर जीव के बारे में उन्हें समझाते और डायरी में नोट करने को कह रहे थे। काफी वक्त हो गया। अब सारे
बच्चे उस जगह थे जहां पर कयी तरह के सांंप रखे हुए थे। मुकुल सांपों को देखकर बोला " ये सांप मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है।" खान सर जो उसी के पास थे, बोले " बेटा, ऐसा नहीं कहते। इस जहान में जो भी जीव पैदा हुआ है। वह एक उद्देश्य के साथ पैदा हुआ है। इस संसार में सबका अस्तित्व है।" मुकुल बोला " सर, सांप किस काम के हैं।
वे तो मनुष्य के दुश्मन होते है।" " नहीं बेटा, वे बेवजह किसी को नहीं काटते। जब तक उन्हें छेड़ो नहीं वे कुछ नहीं करते। हां कभी कभी वे अपने बचाव में ऐसा कर जाते हैं।" " पर है तो बेकार ही।" "अच्छा बेटा यदि सांंप नहीं रहेंगे तो क्या होगा?" " फिर तो बहुत अच्छा होगा सर।
हमें सांप के काटने का डर नहीं रहेगा। हर कोई निर्भय होकर कहीं भी घूम सकता है।" " ठीक है पर कभी यह भी सोचा कि उनके रहने से क्या नुकसान हो सकता है? बेटा यदि सांप नहीं रहेंगे तो हमारा जीना मुश्किल हो जाएगा। पूरी दुनिया भूख से मर जाएगी। हमारी फसलें नष्ट
हो जाएगी। चूहे इतनी तादाद में बढ़ जाएंगे कि हमारे लिए जगह नहीं बचेगी। फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों की तादाद बढ़ जाएगी। सांप हमारे शत्रु नहीं मित्र भी है। सभी जीव धारी पर्यावरण के घटक है। उनमें से एक भी यदि इधर से उधर होता है तो पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाता है। इसके संंधंब में एक घटना चीन की सुनाता हूँ।
सन् 1958 की घटना है जब चीन के तत्कालीन शासक माओत्से तुंग ने गौरया के मारने का हुक्म सुना दिया। उस लगता था कि गौरया फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाती है पर उसे यह नहीं मालूम था कि गौरया का महत्व फसलों के लिए कितना जरूरी है। राज्य में गौरया को मारने की होड़ लग गई। जो जितनी गौरया मारकर लाएगा, उसे उसी हिसाब से इनाम मिलेगा। परिणाम यह हुआ कि चीन में गौरयो का सफाया हो गया। अब फसलों पर कीट पतंगोंं व टिड्डियोंं का आक्रमण हो गया। फसल नष्ट हो हो गई। सन् 1960 में वहां इतना बड़ा दुर्भिक्ष पड़ा कि करोड़ों लोग मौत के मुंह में समा गए। राजा को अपनी भूल का अहसास हुआ पर तब तक काफी देर हो चुकी थी।"
खान सर कुछ रुक कर बच्चों की तरफ देेखकर बोले " कुछ समझ में आया कि नहीं?" बच्चों ने हाँ में सिर हिलाया। " तो बच्चों, बिना जाने, सोचे समझे किसी के भी प्रति घृृणा का भाव नहीं अपनाना चाहिए। यहां हर जीव का अस्तित्व है। हम पूर्वाग्रह में अक्सर यह गलती कर जाते हैं। इसलिए बिना जाने समझे कोई राय न बनाएं।
दाताराम।
