आन्तरिक सुन्दरता
आन्तरिक सुन्दरता
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शशांक अपनी माँ के साथ अपने लिए कई लड़कियों को देखकर आया और घर आकर अपनी माँ से बोला मुझे तो सुहानी ही सबसे अच्छी लगी। एकदम गोरी-चिट्टी एवं ढंग से सजी संवरी।
शशांक की माँ की नज़र बहुत पारखी थी। वो बोलीं मैने उसे बहुत नज़दीक से देखा था बहुत हैवी मेकअप करा रखा था। बाहरी सुंदरता एक धोखा हो सकता है। मुझे तो अनन्या ही पसंद है भले ही सांवले रंग की है पर गुणों की खान है। आन्तरिक सुन्दरता ही वास्तविक सुंदरता है। शशांक भी अपनी माँ की बात से सहमत था।