23 की उम्र
23 की उम्र
आज फिर हमने अपनी पीड़ा को स्याही में डुबोकर यहां टाँग दिया है,
23 की उम्र का पड़ाव वह दौर होता है जब आप नौकरी की दुनिया में एक नवजात शिशुओं की भाँति चलने की कोशिश करतें हैं और गिर जातें हैं और फिर जब उठते हैं तो चलने का व्यवहार व नज़रिया बदलने मात्र से आस पास के लोग ठहाके मार कर हँसते हैं ! जब तक समझ पाएं हमें कहाँ जाना है कैसे जाना हैं ! देर हो जाती है।
"फ्रेशर" यह वह शब्द है जो आपके योग्यता को बौना कर देता और आपको एक चॉकलेट के बदले घण्टों तक कि मेहनत करने पर मज़बूर भी कर के जाता है, और यह 23 वर्षीय नवजात शिशु चॉकलेट को भी केक पाने के फ़िराक़ में बेंच देता है अंततः वह 23 से 25 की उम्र तक या उससे भी ज्यादा सिर्फ और सिर्फ अनुभवी होने के प्रयास ने कार्यरत रहता है।
"इंटरव्यू" 23 की उम्र के बच्चे के लिए यह किसी रिश्तेदार के सामने, हिंदी वाली कविता या इंग्लिश वाली पोएम सुनाने वाली बात सी होती है, अगर अच्छे से सुना दिए तो बहुत ही अच्छा बच्चा का ख़िताब मिल जाता है वरना चंचलता का चोला पहनाकर हमें रंगीन दुनिया दिखा दी जाती है।
किसी शिक्षित परिवार का होने के नाते अगर उनका यही 23 वर्षीय नवजात शिशु हिंदी में नमस्ते भी बोल दे तो दुःख होता है उस परिवार और रिश्तेदारों को जिसके घर यह नवजात शिशु ने जन्म लिया।
चूंकि हम ज़मीन पर लेटकर भी चल रहे हैं तो हमें ज़मीन भी फ़र्श की चाहिए वरना मिट्टी के दाग यहाँ आजीवन लग जाते हैं और अंततः बीमारी घेर जाती है।
ठोकर लगी,
गिर पड़े
फिर उठे
थोड़ी देर चले
पापा मम्मी खुश हुए,
खबर फ़ैल गयी पड़ोसियों में कि मेरा बेटा चलने लगा !
और फ़िर अचनाकन से जैसे गिरे, घर वालों ने दो बात सुनाई और मुंह फेरा और चले गए।