उन्होंने वक्त देखा, नौ पाँच हो रहे हैं। उन्होंने आधा घंटा यूँ ही बरबाद कर दिया है। अभी तक उसका नाम भी नहीं पूछ पाए हैं। ...
सम्प्रदाय का है इस बात से उनको कोई सरोकार नहीं होता। सिर्फ लूटना, मारना यही काम होता है
इस सब के लिए वह स्वयं ही जिम्मेदार है इसलिए वह अपने पति से भी शिकायत नहीं कर सकती
दंगों के बाद अब शहर में माहौल शांत हुआ था। होली का त्यौहार था, सभी होली में व्यस्त थे।
कहता है काकी तुम्हारे जितना अच्छा दही बड़ा मैं कहीं नहीं खाया।"
क्यों न श्मशान में चलकर शराब पी जाए। मस्ती की मस्ती और एक्साइटमेंट का एक्साइटमेंट