यह एक असहाय बूढ़ी माँ की कहानी है। वह एक विधवा है जिसके तीन बेटे हैं। वे अक्सर ही सम्पत्ति के बँटवारे का मसला लेकर आपस मे...
बड़ी नाराज है शायरी मुझसे...
सुकीर्ति के जाने के बाद ज़िन्दगी ज़मीन पर बिखरे झड़े हुए पत्तों की तरह हो गयी.
अपनी ज़रूरत को ही पूरा करने की होड़ में धरती के बाकी जीवों की ज़रूरतों की परवाह छोड़ दें।जी
सहायता की आस में हूं फिर से असहाय हो गई हूं।
आज मैं अपने जीवन के उन सभी सवालों के जवाब ढूंढ रहा हूँ जिन्होंने ऐसा अंतर्द्वंद किया।