‘रिश्तों का मान ? रिश्तों का मान रखने की बात करती हो। क्या तुम जानती नहीं हो तुम्हारा मान क्या मायने रखता है मेरे जीवन म...
कितनी सफ़ाई हुई डेटॉल डाल डाल के लेकिन बदबू जाये न फिर पूरे समय ढेर सारी अगरबत्तियां जला कर गुजारा हुआ
हमारे बाबू जी हमें जब गाँव ले जाते थे तो प्रत्येक दिन गाँव के लोगों से मिलने का कार्यक्रम होता था।
बाबूजी हम सभी प्रकार का आहार लेते है जैसे हरि सब्जी, मछली, माँस आदि और हम तीनों बार भी भर पेट अपना आहार लेते है।
अब सब बंजर पड़े हुए हैं। बचे-खुचे परिवार खेती करते भी हैं तो जंगली जानवर सब फसल बरबाद कर देते हैं।
गाँव की महिलाओं को बनाया अपना परिवार और गाँव की परंपरा-संस्कृति का तहेदिल से स्वागत करते हुए