"बस बहू, तू मेरे लिए ऐसा सोचती है ? मैं तो सुहागन ही जाऊंगी। तू अपना सोच।"
मेरी पड़ोसन का फ़ोन आया और उन्होंने अपने घर तुरंत बुलाया, उनके यहाँ जा कर मुझे आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी हुई जब वहां वृद्धा के ...
जब तक ताया जी थे, सब कुछ ठीक चल रहा था। पर उनके जाने के बाद ही शुरू हुआ संपत्ति के बंटवारे का खेल......
क्या होगा ? कैसे मिलूंगी ? क्या पूछेंगे लड़के वाले..इत्यादि।
"रवि जब तक माँ ठीक नहीं हो जाती हम यहीं रहेंगे।"
पुस्तकें और चश्मा ही जीवन के सच्चे साथी