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रिश्ते...

रिश्ते सँभलती हूँ , तुमसे जुड़े हर वजूद को प्यार दिया है। नहीं सोचती बदले में मुझे क्या मिलेगा । हमारे -तुम्हारे बीच जो अहसास है , मेरे लिए ख़ास है। कोई नाम नहीं देना चाहती हूँ "इस अनकहे" रिश्ते को। अनीता मिश्रा "सिद्धि" रविवार 3/11/2019 हजारी बाग

By Anita Mishra
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